गर्दनीबाग धरना स्थल पर सिपाही भर्ती अभ्यर्थियों का प्रदर्शन, सर्टिफिकेट को लेकर किया हंगामा

पटना। राजधानी पटना में सिपाही भर्ती परीक्षा के सफल अभ्यर्थी अपनी मांगों को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। गर्दनीबाग धरना स्थल पर बीते 25 नवंबर से अभ्यर्थियों का विरोध जारी है। अभ्यर्थी राज्य सरकार और केंद्रीय सिपाही चयन बोर्ड से अपनी समस्याओं का समाधान करने की मांग कर रहे हैं। इस आंदोलन को शिक्षक संघ और छात्र संगठनों का समर्थन भी मिला है। धरने की अगुवाई शिक्षक नेता गुरु रहमान और छात्र नेता दिलीप कर रहे हैं। गुरु रहमान का दावा है कि सोमवार को धरना स्थल पर 15,000 से अधिक अभ्यर्थी मौजूद थे, और यह संख्या अगले दिन दोगुनी हो सकती है। अभ्यर्थी और उनके समर्थक लगातार राज्य सरकार से अपनी मांगों को पूरा करने की अपील कर रहे हैं। धरना स्थल पर मौजूद अभ्यर्थियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो वे आगामी विधानसभा चुनाव में सरकार के खिलाफ मतदान करेंगे। उनका कहना है कि यह आंदोलन सिर्फ अभ्यर्थियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे परिवार के साथ नीतीश कुमार सरकार का विरोध किया जाएगा। अभ्यर्थियों का प्रदर्शन एनसीएल (नॉन-क्रीमी लेयर) और ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) सर्टिफिकेट को लेकर है। उनका कहना है कि सिपाही भर्ती परीक्षा के लिए 2023 के विज्ञापन में यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि केवल विज्ञापन से पहले का एनसीएल और ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट मान्य होगा। अब जब परीक्षा के बाद दस्तावेज़ सत्यापन का समय आया है, तो सीएसबीसी (केंद्रीय सिपाही चयन बोर्ड) 2022 के पहले जारी सर्टिफिकेट को ही मान्य कर रहा है। अभ्यर्थियों का कहना है कि यह उनके साथ अन्याय है, क्योंकि कई अभ्यर्थियों ने 2023 में नए सर्टिफिकेट बनवाए थे। वर्तमान यानी 2023 का एनसीएल और ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट भी मान्य किया जाए। भर्ती प्रक्रिया में अभ्यर्थियों को नियमों में हुए इस बदलाव से **नुकसान न उठाना पड़े। दारोगा भर्ती परीक्षा की तरह, सिपाही भर्ती में भी समान नियम लागू हों। अभ्यर्थियों का कहना है कि सीएसबीसी की ओर से यह निर्देश अभ्यर्थियों को मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान कर रहा है। उनका यह भी दावा है कि भर्ती के विज्ञापन में इस नियम का जिक्र नहीं था, और बाद में नियम लागू करना गलत है। अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्होंने अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, और अन्य नेताओं को पत्र लिखे हैं। बावजूद इसके उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया जा रहा है। धरना स्थल पर मौजूद छात्र नेता दिलीप ने कहा, अगर सरकार हमारी मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो हम आमरण अनशन पर बैठेंगे।” अभ्यर्थियों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही समाधान नहीं निकला, तो वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगे। इस आंदोलन को शिक्षक संघ का भी मजबूत समर्थन मिला है। शिक्षक नेता गुरु रहमान ने कहा कि “अभ्यर्थियों की मांगें पूरी तरह जायज हैं।” उन्होंने उम्मीद जताई कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी महिला संवाद यात्रा पर निकलने से पहले इस विवाद का समाधान करेंगे। सिपाही भर्ती परीक्षा में विवाद के चलते राजनीतिक माहौल भी गरमा गया है। प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो इसका असर 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा। अभ्यर्थियों ने कहा कि वे सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराएंगे और मतदान में सरकार का विरोध करेंगे। अब तक राज्य सरकार या सीएसबीसी ने इस मामले में कोई ठोस बयान नहीं दिया है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, सरकार और सीएसबीसी इस विवाद को सुलझाने के लिए एक समिति का गठन कर सकते हैं। गर्दनीबाग धरना स्थल पर सिपाही भर्ती अभ्यर्थियों का प्रदर्शन बिहार सरकार और सीएसबीसी के लिए चुनौती बन गया है। उनकी मांगें साफ और तार्किक हैं, लेकिन प्रशासन की चुप्पी ने उनके गुस्से को और बढ़ा दिया है। सरकार को जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान निकालकर अभ्यर्थियों के साथ न्याय करना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है, तो यह आंदोलन न केवल अभ्यर्थियों बल्कि उनके समर्थकों के बीच भी सरकार की छवि को प्रभावित कर सकता है।
