पटना में सेना के रिटायर्ड अधिकारी से 1.90 करोड़ की साइबर ठगी, शेयर मार्केट का झांसा देकर बनाया शिकार

पटना। राजधानी पटना में साइबर अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ती जा रही हैं। हाल ही में सामने आई एक घटना ने फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि कैसे तकनीकी साधनों का इस्तेमाल करके आम नागरिकों को ठगा जा रहा है। इस बार साइबर ठगों ने एक रिटायर्ड सैन्य अधिकारी को निशाना बनाया और उनसे करीब 1.90 करोड़ रुपये की ठगी कर ली। यह घटना न केवल आर्थिक नुकसान की कहानी है, बल्कि यह भी दिखाती है कि किस प्रकार से अनुभवी और जागरूक माने जाने वाले व्यक्ति भी इन जालसाजों के शिकार बन सकते हैं।
शेयर मार्केट के नाम पर झांसा
पीड़ित सैन्य अधिकारी हाल ही में सेना से सेवानिवृत्त हुए थे और वे अपनी रिटायरमेंट की रकम को सुरक्षित निवेश करना चाहते थे। इस दौरान उन्हें व्हाट्सएप पर शेयर मार्केट में निवेश से संबंधित एक विज्ञापन दिखा, जिसमें मोटे मुनाफे का दावा किया गया था। विज्ञापन में दिए गए नंबर पर संपर्क करने के बाद जालसाजों ने खुद को स्टॉक एक्सचेंज के विशेषज्ञ बताते हुए उन्हें निवेश के लिए प्रेरित किया।
फर्जी ग्रुप में शामिल कर किया ब्रेनवॉश
साइबर ठगों ने पीड़ित को एक फर्जी ग्रुप ‘ICICI स्टॉक एक्सचेंज’ से जोड़ दिया और धीरे-धीरे उन्हें विश्वास में लेकर निवेश करने के लिए उकसाया। शुरू में छोटे लाभ दिखाकर उनका विश्वास जीत लिया गया। फिर ठगों ने बड़े-बड़े निवेश के लिए उकसाना शुरू किया। रिटायर्ड अफसर ने अपनी जमा पूंजी लगाने के अलावा, दोस्तों और रिश्तेदारों से उधार लेकर भी पैसे भेजे।
ठगी का एहसास और शिकायत
कुछ समय बाद जब लाभ मिलना बंद हो गया और लगातार नए-नए चार्ज की मांग की जाने लगी, तब उन्हें ठगी का एहसास हुआ। उन्होंने तुरंत साइबर थाना जाकर इसकी शिकायत दर्ज करवाई। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है। यह घटना पटना की अब तक की सबसे बड़ी साइबर ठगी में से एक मानी जा रही है।
पहले भी हो चुकी हैं बड़ी घटनाएं
इससे पहले भी पटना में एक रिटायर्ड महिला प्रोफेसर को “डिजिटल अरेस्ट” के नाम पर 3.7 करोड़ रुपये की ठगी का सामना करना पड़ा था। ऐसे मामलों से यह स्पष्ट है कि साइबर ठग लगातार नए तरीके अपनाकर लोगों को फंसाने में लगे हैं।
सावधानी ही सुरक्षा है
इस प्रकार की घटनाओं से यह सबक मिलता है कि किसी भी निवेश प्रस्ताव को स्वीकार करने से पहले उसकी पूरी जानकारी लेना, संबंधित संस्था की सच्चाई की जांच करना और किसी भी अनजान लिंक या विज्ञापन पर भरोसा न करना ही समझदारी है। सरकार और साइबर सुरक्षा एजेंसियों को चाहिए कि वे इस तरह की घटनाओं से जनता को समय-समय पर जागरूक करती रहें।
