अतिपिछड़ों की जाति गिनने में फर्जीबाड़ा जाहिर : प्रभाकर मिश्र
- सरकार बताए, कई जातियों की आबादी कम कैसे हो गई?
पटना। भाजपा प्रवक्ता प्रभाकर कुमार मिश्र ने कहा कि एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट जैसे सरकारी संस्थान के आंकड़े भी जातीय सर्वे के आंकड़ों में फर्जीवाड़े की पोल खोलने के लिए काफी हैं, लेकिन सरकार सर्वे की समीक्षा कराने को तैयार नहीं है। इससे महागठबंधन सरकार की नीयत पर सवाल उठते हैं। मिश्र ने आगे कहा कि जब देश में आबादी तेजी से बढ रही है, तब क्या कुछ जातियों की संख्या तेजी से घटी हो सकती है? उन्होंने आगे कहा कि जातीय सर्वे को यदि सही माना जाए तो राज्य में 5 साल के भीतर बहेलिया जाति की संख्या 59,509 की कमी आ गई। वही इसी तरह चंद्रवंशी जाति की आबादी में 8,77256 और मालाकार जाति की आबादी में 9,66180 की कमी आ गई। मिश्र ने आगे कहा कि जातीय सर्वे के नाम पर राजनीतिक भेद-भाव करते हुए कुछ जातियों की संख्या कम दिखायी गई, तो कुछ सत्ता समर्थक जातियों की आबादी ज्यादा दर्ज की गई। मिश्र ने आगे कहा कि 2013, 2015 और 2016 में बहेलिया, चंद्रवंशी और मालाकार जाति की इथनोग्राफी रिपोर्ट से जातीय सर्वे 2022 की रिपोर्ट से मेल नहीं खाते। उन्होंने आगे कहा कि जातीय सर्वे के आंकड़े में बहेलिया जाति की आबादी 8,026 बतायी गयी है, जबकि एएन सिंह समाज कल्याण संस्थान की ओर से इथनोग्राफी अध्ययन 2015 में इनकी संख्या 67,535 बतायी गयी थी। यह अंतर क्यों है? मिश्र ने आगे कहा कि जातीय सर्वे में चंद्रवंशी जाति की आबादी 21 लाख 55 हजार 644 बतायी गयी है, जबकि 2015 में इथनोग्राफी रिपोर्ट में इनकी संख्या 30 लाख 32 हजार 800 बतायी गयी थी। चंद्रवंशी समाज के 8.77 लाख लोग कहाँ गायब हो गए? इसी तरह मालाकार और अन्य जातियों के साथ न्याय नहीं हुआ।