WHO के 100 वैज्ञानिकों की रिपोर्ट में बड़ा दावा, 2022 में खत्म होगा कोरोना का वायरस

दुनिया। महामारी के खात्मे का साल हैं, वैज्ञानिकों ने कहा- लेकिन कोरोना महामारी न होकर सामान्य फ्लू की तरह रहेगा, वैक्सीन के अलावा सैकड़ों कोविड रोधी दवाएं कतार में हैं, ये कोरोना से मौतें रोकने में अहम साबित होंगी, वही कोरोना सीजनल बीमारी जैसा होगा, 99% मरीज घर पर ही ठीक हो जाएंगे, दुनिया मास्क फ्री होगी, पर बीमार लोगों के लिए मास्क अनिवार्य रहेगा, हर साल बूस्टर डोज लगाना दुनिया के कई देशों की मजबूरी बन जाएगी, अगले साल हर बच्चा वैक्सीनेट हो सकता है, कोरोना टेस्ट भी सस्ता होगा। अगले साल तक 90% देशों की पूरी वयस्क आबादी का वैक्सीनेशन हो जाएगा। 100 से ज्यादा देशों में 80% आबादी बूस्टर डोज भी लगवा चुकी होगी। फिर भी साल में एक-दो बार संक्रमण पीक पर हो सकता है। ज्यादातर देशों में पीक सर्दी में संभव है।

इससे मौतें नहीं के बराबर होंगी। इसमें वैक्सीनेशन के अलावा नई दवाएं अहम भूमिका निभाएंगी। यह साफ है कि संक्रमण नहीं रुकेगा, लेकिन संक्रमितों को बचाना आसान होगा। 99% मरीजों को अस्पताल की जरूरत नहीं पड़ेगी। दुनियाभर में 54 लाख मौतों की वजह बना कोरोनावायरस 2022 के अंत तक सामान्य फ्लू में तब्दील हो सकता है। यह खत्म तो नहीं होगा, लेकिन इससे होने वाली मौतों को लगभग शून्य किया जा सकता है। ओमिक्रॉन वैरिएंट के तेजी से फैलने की खबरों के बीच डब्ल्यूएचओ से जुड़े 100 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने कोरोनावायरस के भविष्य को लेकर एक समग्र रिपोर्ट तैयार की है। 2022 में कोरोनावायरस के साथ जिंदगी कैसी होगी, इसे लेकर वैज्ञानिकों ने चार प्रमुख बातें सामने रखी हैं।

100 से ज्यादा देशों में बच्चों का वैक्सीनेशन जारी है। चीन, इजरायल जैसे कुछ देश बच्चों के बूस्टर डोज भी मंजूर कर चुके हैं। लेकिन, भारत समेत ज्यादातर एशियाई देश और अफ्रीका में बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं हो रहा। डब्ल्यूएचओ ने उम्मीद जताई है कि 2022 में दुनिया के सभी बच्चे वैक्सीनेट हो जाएंगे। दूसरी ओर, कोरोना की जांच भी सस्ती होगी। अगले साल ऐसी दर्जनों टेस्ट किट सस्ते में उपलब्ध होंगी, जिन्हें लोग घरों में ही इस्तेमाल कर सकेंगे। वही कोरोना से लड़ने के लिए ज्यादातर देशों ने बूस्टर डोज का रास्ता अपनाया है। सिर्फ वही देश बूस्टर नहीं लगा रहे, जहां आबादी को प्राइमरी दो डोज नहीं लगी हैं। कोरोना का संक्रमण जब-जब फैलेगा, बूस्टर डोज उसकी गंभीरता को कम रखने में मददगार साबित होंगी। इसलिए अमेरिका, ब्रिटेन, चीन जैसे देशों ने बूस्टर डोज को अनिवार्य कर दिया है। अमेरिका और ब्रिटेन की स्वास्थ्य एजेंसियों ने हर 9 महीने या 1 साल बाद बूस्टर लगाने की सिफारिशें की हैं। ऐसा पूरे यूरोप में हो रहा है।

जॉन हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के महामारी विशेषज्ञ डॉ. शॉन ट्रूलव बताते हैं कि- वायरस के सीजनल फ्लू में तब्दील होने के बाद दुनिया मास्क फ्री हो सकेगी। कुछ देश मास्क की अनिवार्यता खत्म करना शुरू भी कर चुके हैं। सिर्फ बीमारों को 2-3 हफ्ते मास्क पहनना पड़ेगा। डॉ. टिमोथी ब्रेवर बताते हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत सिर्फ गंभीर संक्रमण वाले इलाकों में होगी। 2022 में पूरी दुनिया सोशल डिस्टेंसिंग वाले नियमों से भी मुक्त हो सकती है।

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