अरुणाचल प्रदेश में चीन की हिमाकत, कई जगहों के नाम बदले, भारत ने किया कड़ा विरोध

नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन की ओर से एक बार फिर उकसावे की कार्रवाई सामने आई है। चीन ने हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के कई स्थानों के नामों को बदलने की कोशिश की, जिस पर भारत ने सख्त प्रतिक्रिया दी है। भारत सरकार ने चीन के इस कदम को पूरी तरह खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बुधवार को मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि चीन द्वारा किए गए नाम बदलने के प्रयास ‘व्यर्थ और बेतुके’ हैं। उन्होंने कहा कि “इस तरह के प्रयासों से यह निर्विवाद सत्य नहीं बदल सकता कि अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा है।” जायसवाल ने जोर देकर कहा कि भारत इस तरह की हिमाकत को अपने सैद्धांतिक रुख के अनुरूप पूरी तरह से अस्वीकार करता है। गौरतलब है कि चीन अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का दक्षिणी भाग बताकर उस पर समय-समय पर दावा करता रहा है। चीन की सरकारी मीडिया के माध्यम से यह जानकारी दी गई थी कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों के नाम बदलकर उन्हें अपनी ‘सरकारी सूची’ में शामिल कर लिया है। इस पर भारत की ओर से यह कड़ा संदेश आया है कि केवल नाम बदल देने से जमीन की हकीकत नहीं बदलती। रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमने देखा है कि चीन ने भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलने के प्रयास किए हैं। लेकिन केवल नाम रखने या बदलने से वास्तविकता पर कोई असर नहीं पड़ता। अरुणाचल प्रदेश भारत का अविभाज्य हिस्सा है और रहेगा।” भारत और चीन के बीच की सीमा को “वास्तविक नियंत्रण रेखा” (LAC) कहा जाता है, जो दोनों देशों के बीच लंबे समय से विवाद का कारण रही है। इस रेखा का निर्धारण ऐतिहासिक ‘मैकमोहन लाइन’ के आधार पर हुआ है, जो भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य को तिब्बत से अलग करती है। हालांकि, चीन इस रेखा को मान्यता नहीं देता और अरुणाचल प्रदेश पर दावा जताता रहा है। भारत ने हमेशा चीन के इस दावे को सिरे से खारिज किया है और हर मंच पर यह स्पष्ट किया है कि अरुणाचल प्रदेश भारतीय संप्रभुता का हिस्सा है। चीन की यह ताजा हरकत न केवल क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा है, बल्कि उसकी विस्तारवादी मानसिकता को भी उजागर करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन इस प्रकार के प्रयासों से न केवल कूटनीतिक दबाव बनाना चाहता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भ्रम फैलाने की कोशिश भी करता है। लेकिन भारत ने हर बार उसकी इन कोशिशों को नाकाम किया है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाएगा। वहीं, चीन को भी यह समझना चाहिए कि इस प्रकार के उकसावे से वह अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सकता। भारत की इस सख्त प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट संकेत गया है कि किसी भी प्रकार के राजनीतिक या नाम परिवर्तन से भारत की क्षेत्रीय सीमाओं और अधिकारों में कोई बदलाव नहीं आने वाला है। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा – इस मुद्दे पर भारत की नीति अडिग और स्पष्ट है।
