बिहार में जातिगत गणना समाज के सबसे निचले पायदान के लोगों को और नीचे ले जाने के लिए : पीके

  • बिहार में समाजवाद के नाम पर समाज को बांटने का काम कर रही है नीतीश सरकार : पीके

मोतिहारी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातिगत गणना की शुरुआत वैशाली के गोरौल से की। वही उन्होंने इसके लिए कटरमाला पंचायत के हरसेर गांव में मनोज पासवान नाम के व्यक्ति का घर चुना। वही इस मौके पर CM नीतीश ने कहा कि जाति की गणना के साथ-साथ लोगों की आर्थिक स्थिति का अध्ययन भी करवा रहे हैं। इसकी रिपोर्ट आने के बाद हमलोग उसको पब्लिश करेंगे और केंद्र को भी देंगे। वही बता दे कि मुख्यमंत्री के साथ उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी मौजूद थे। बता दें कि नीतीश कुमार समाधान यात्रा के क्रम में वैशाली पहुंचे थे। हालांकि जन सुराज यात्रा के क्रम में मोतिहारी पहुंचे चुनावी रणनीतिकार ने जातिगत गणना को समाज में विद्वेष व उन्माद फैलाने वाला बताया है। वही पीके ने कहा कि जातिगत गणना समाज को जोड़ने के लिए नहीं तोड़ने के लिए है। जातीय जनगणना का वैधानिक आधार भी नहीं है। जातीय जनगणना करने वाले नीतीश कुमार ये बताएं कि इसका वैधानिक आधार क्या है और जनता का क्या इससे विकास होगा? अगर विकास करना है तो ये आंकड़ा समझ लें कि बिहार में 13 करोड़ लोग आज भी देश में सबसे पिछड़े हैं। उनका उत्थान होना चाहिए। वही आगे पीके ने कहा की किसी लाइब्रेरी में बैठ जाने से ज्ञान नहीं हो जाता है। उसको समझने के लिये समझ होनी चाहिए। समाज और बिहार की जनता को मूर्ख बनाने का काम है। वही उन्होंने कहा की जातिगत गणना समाज के सबसे निचले पायदान के लोगों को और नीचे ले जाने के लिए है। बिहार में समाजवाद के नाम पर समाज को बांटने के लिए हो रहा है।

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