बिहार में घोटालेबाज मस्त, सरकार पस्त: नीतीश सरकार पर लगा एक और दाग

पटना (संतोष कुमार)। बिहार पर महाघोटाला का एक और सनसनीखेज आरोप लगा है, जो बिहार पर बदनुमा दाग से कम नहीं है। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में यह खुलासा हुआ है। जिससे एक बार फिर बिहार की राजनीति गरमा गई है। बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में नीतीश सरकार को घेरने के लिए विपक्षी दलों ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है। चारा घोटाला की चर्चा तो अभी तक हो रही है पर हाल के वर्षों में जिस तरह बिहार ने घोटाले की फेहरिस्त लिखी है, उस पर सत्ता पक्ष बचकर निकलते रहा है और एक ही रट कि जांच में सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा और दोषियों को नहीं बख्शा जाएगा, सुनने को मिलती रही है परंतु सृजन घोटाले में अभी तक क्या परिणाम सामने आया है, किसी से छिपी नहीं है। अभी भी सृजन को लेकर राजनीतिक दलों में वाक् युद्ध का दौर जारी ही है कि बिहार से अरबों रुपए की महाघोटाला की खबर ने पैर तले जमीन ही खिसका दी है।
बता दें कि बिहार में 2 अरब 33 करोड़ की वित्तीय अनियमितताएं सामने आई है। जिसमें मुजफ्फरपुर एक बार फिर चर्चा में है। मुजफ्फरपुर जिला में ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार साल 2011 से 2016 तक हुए दो निरीक्षण रिपोर्ट में सीएजी ने 102 करोड रुपए की वित्तीय अनियमितता पकड़ी है। वहीं दरभंगा जिले में 1 अरब 21 करोड़ से अधिक रुपए की गड़बड़ी पकराई है, जो राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर बहुत बड़ा सवालिया निशान लगाता है। दोनों मामले मुजफ्फरपुर और दरभंगा के जिला नाजारत कार्यालय से जुड़े हैं। उक्त दोनों मामलों में 2 अरब से भी ज्यादा का महाघोटाला सामने आया है।
सूचना के अधिकार से मांगी गई जानकारी में सीएजी की रिपोर्ट में इस घोटाले का खुलासा हुआ है। इस महाघोटाला को अंजाम बाढ़ राहत के लिए बनाए गए पैकेट का सामान खरीदने में दी गई है। जो एक बार फिर पुराने दिनों में बिहार में हुई बाढ़ राहत घोटाले की याद को तरोताजा कर दी है। इसके साथ ही बैंक खाते से ₹1158000 के अवैध निकासी CAG ने पकड़ी है। वहीं दरभंगा में वर्ष 2015 में किए गए निरीक्षण में भी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है।
गौरतलब है कि ऑडिट रिपोर्ट सरकार और लोक लेखा समिति को पहले ही सौंपी जा चुकी है। वहीं दूसरी ओर वित्तीय अनियमितता उजागर होने के बाद आरटीआई कार्यकर्ता ने सूबे के मुख्य सचिव को रिपोर्ट के साथ जांच कराने के लिए सितंबर 2018 में ही पत्र लिखा था, परंतु वह आवेदन अभी तक वित्त विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग के बीच ही टेबल-टेबल घूम रहा है या फिर यह कहे कि उस आवेदन को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। इस पूरे प्रकरण में यही बात निकल कर सामने आती है कि सरकार मामले को दबाना चाहती है। दूसरी ओर सरकार द्वारा इस महाघोटाले की जांच की अनदेखी किए जाने से नाराज आरटीआई कार्यकर्ता अमित कुमार मंडल अब न्यायालय में रिट याचिका दायर करने की तैयारी में लग गए हैं। इस मामले में जिला प्रशासन ने बयान जारी कर कहा है कि जिला नजारत या जिला लेखा कार्यालय में यह मामला संज्ञान में नहीं आया है, यदि मामला सामने आता है तो विधि सम्मत कार्रवाई जरूर की जाएगी।
दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस महाघोटाले पर राज्य सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। श्री यादव ने कहा कि इसमें सृजन घोटाला जैसे 35 अन्य घोटालों की तरह ‘घोटाला बाबू’ इसमें भी सम्मिलित हैं। श्री यादव ने कहा कि सभी जिलों की ऑडिट रिपोर्ट आने पर हो सकता है कि यह बिहार का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला हो।

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