बिहार में सवर्णों को पटाने में जुटी कांग्रेस,भाजपा जदयू से नाराज सवर्णों पर टिकी है निगाहें

पटना।(बन बिहारी)आसन्न विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस प्रदेश में सवर्ण वोटों को साधने में जुटी हुई है।बिहार में लगभग 20% सवर्ण वोट तीन चुनावों में भाजपा- जदयू गठबंधन के साथ रहे हैं।हालांकि 90 के दशक से लेकर अभी तक सवर्णों का कांग्रेस से पूरी तरह से मोहभंग भी नहीं हुआ है।अगर कांग्रेस पार्टी को संगठन पर गौर किया जाए तो ऊपर से नीचे तक ज्यादातर चेहरे आपको सवर्ण समाज से ही मिलेंगे।इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सवर्ण वोट, जो कभी कांग्रेस के बिहार में परंपरागत हुआ करते थे,को अपने पक्ष में करने के लिए सवर्ण कार्ड खेल चुकी है।प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व यह बात समझ रही है की भाजपा को लगातार तीन चुनावों में वोट देने के बावजूद सवर्णों को कुछ खास मुकाम हासिल नहीं हुआ है।नीतीश कुमार के सोशल इंजीनियरिंग के समक्ष भाजपा समर्थक सवर्णों को कई मुद्दों पर मुंह की खानी पड़ी है।इसलिए बिहार प्रदेश कांग्रेस 2020 के विधानसभा चुनाव के लिए सवर्ण वोट बैंक के बीच अपने प्रति विश्वास जगाने के लिए चरणबद्ध तरीके से कार्य कर रही है।बिहार कांग्रेस ने 2018 में कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा कद्दावर नेता अखिलेश सिंह को राज्यसभा तथा प्रेमचंद मिश्रा को विधान परिषद में में भेज कर सवर्ण समाज को अपने सॉफ्ट कॉर्नर का साफ संदेश दिया था।इस बार भी बिहार प्रदेश कांग्रेस के तरफ से विधान परिषद में कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष समीर कुमार सिंह भेजे गए हैं।बताया जाता है कि कांग्रेस के द्वारा बिहार में सवर्ण वोटों को अपने पक्ष में करने के लिए भूमिहार समाज के कद्दावर अखिलेश सिंह को राज्यसभा, ब्राह्मण समाज के डॉ मदन मोहन झा को प्रदेश अध्यक्ष तथा ब्राह्मण समाज के प्रेमचंद्र मिश्र को विधान परिषद तथा राजपूत समाज से आने वाले समीर कुमार सिंह को विधान परिषद भेजा गया है। उल्लेखनीय है कि बिहार में सवर्णों का वोट 90 के दशक तक कांग्रेस को मिलता रहा था।मगर बाद में लालू यादव के माय समीकरण के साथ तालमेल बैठाने के चक्कर में कांग्रेस के हाथों से सवर्णों का वोट फिसल कर भाजपा के गोद में जा गिरा।मगर कांग्रेस अब फिर से सवर्णों को वोट के अपने पक्ष में लाने के लिए ‘व्यूह’ निर्माण में जुटी हुई है।इसी क्रम में कल पूर्व केंद्रीय मंत्री तारिक अनवर के नामांकन में तकनीकी खामी आने की वजह से राजपूत समाज से आने वाले प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष समीर कुमार सिंह के नाम को विधान परिषद के लिए आगे बढ़ाया गया।इस संबंध में राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सवर्णों का एक बड़े तबके का बिहार में भाजपा से मोहभंग हो गया है।ऐसे में कांग्रेस नाराज सवर्णों को अपने पक्ष में करने में जुटी हुई है।आसन्न विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा कि सवर्णों के कितने प्रतिशत वोट अपने पक्ष में खींचने में कांग्रेस कामयाब रही।अगर देखा जाए तो फिलहाल प्रदेश कांग्रेस में फ्रंट लाइन के ज्यादातर चेहरे सवर्ण समाज से ही मिल जाएंगे।प्रदेश कांग्रेस अपने प्रदेश डॉ मदन मोहन झा तथा राज्यसभा सांसद तथा अभियान समिति के प्रमुख डॉ अखिलेश सिंह को लेकर सवर्णों को साधने में जुटी हुई है।

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