निसंतान दंपतियों की उम्मीदः 49 साल की उम्र में महिला को हुई संतान की प्राप्ति, पढ़ें पूरी खबर

पटना। इंदिरा आईवीएफ पटना हास्पीटल लगातार निःसंतान दम्पतियों की सूनी गोद भरकर उनके निराश और अवसाद भरे जीवन में खुशियों का रंग भर रही है। इंदिरा आईवीएफ अन्य आईवीएफ के मुकाबले सर्वाधिक विश्वसनीय बनकर उभरी है। उक्त बातें इंदिरा आईवीएफ पटना हास्पीटल के मुख्य एम्ब्रायोलाॅजिस्ट डा. दयानिधि ने रविवार को कही। उन्होंने कहा कि इंदिरा आईवीएफ विश्व की सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ आधुनिक तकनीक से इलाज करनेवाला एकमात्र संस्थान है। इसकी तकनीक इतनी अधिक विकसित की जा चुकी है कि इसपर पूर्ण भरोसा किया जा सकता है।
पटना आईवीएफ ने पेश की मिशाल
डा. दयानिधि ने कहा यूं तो इंदिरा आईवीएफ पटना निःसंतान दम्पतियों के दामन को खुशियों से भरने का काम कर रही है परंतु इसी इंदिरा आईवीएफ पटना की सफलता की कड़ी में एक और महान उपलब्धि तब जुड गई जब इसी संस्थान ने एक दो नहीं, 13 बार आईवीएफ फेल 49 साल की एक निःसंतान महिला की गोद बच्चों की किलकारी से भर कर लोगों को आश्चर्य में डाल दिया। इससे भी बड़ी बात ये है कि इंदिरा आईवीएफ ने अन्य जगहों से निराश इस दंपति को पहली बार में सफलता दिलाकर उसे संतान सुख प्रदान किया है।
इधर चीफ इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डा. अनुजा ने बताया कि आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से निःसंतानता के कारणों को पता लगाकर निःसंतान दंपति को संतान प्राप्ति कराया जा सकता है। उनके अनुसार आज से 10 साल पहले आईवीएफ की सफलता का दर 30% के आस पास था परन्तु बहुत सारे अत्याधुनिक तकनीक के आने से आईवीएफ की सफलता का दर 70 से 80% के आस पास हो गया है । डा. सुनीता के अनुसार समाज में ये भ्रांति है की आईवीएफ अंतिम इलाज होता है परन्तु आईवीएफ सबसे बेहतरीन इलाज के विकल्प के तौर पर 23 से 50 साल की महिलाओं में उपयोग किया जाता है । आज इंदिरा आईवीएफ के सारे टीम के द्वारा मुकेश और सीमा को सम्मानित किया । इस अवसर पर डा. सोनालीए डा. अनुपम व डा. रीना रानी भी उपस्थित थीं ।

49 साल की उम्र में सीमा को मिला मातृत्व सुख, क्या है सफलता की यह पूरी कहानी:  सफलता की यह कहानी है गोपालगंज जिला निवासी मुकेश और सीमा (काल्पनिक नाम) की। दोनों का पारिवारिक जीवन हंसी-खुशी से बीत रहा था, लेकिन इस दोनों की खुशियां तब समाप्त होने लगी, जब उन्हें संतान उत्पति में बिलंब होने लगा। धीरे-धीरे मुकेश और सीमा के जीवन में अवसाद और मानसिंक चिंता ने घर कर लिया। जब दोनों को आईवीएफ तकनीक के बारे में पता चला तो इन्होंने इस प्रक्रिया को अपनाते हुए अपना इलाज कराना शुरू कर दिया। देश के कई बड़े शहरों में स्थापित आईवीएफ में इलाज कराया, लेकिन सफलता नहीं मिलने से परेशान इस दंपति ने थक-हार कर पटना आईवीएफ सेंटर का रूख किया। सेंटर पर मौजूद चिकित्सकों की टीम ने इस केस को चुनौती माना। विभिन्न तरह की जांच के क्रम में पता चला कि महिला की माहवारी और बच्चेदानी में समस्या है जिसे हिस्ट्रोस्काॅपी विधि के माध्यम से दूर किया जा सकता है। हालांकि मुकेश और सीमा इस बात से भी सशंकित थी कि कहीं यहां भी उनका इलाज फेल न हो जाय, लेकिन पटना सेेंटर की पूरी टीम ने जब हौसले के साथ इस काम को हाथ में लिया तो परिणाम काफी चौंकाने वाले नजर आये। महिला का इस सेंटर पर इलाज शरू हो गया और आज इस दंपति की गोद में एक स्वस्थ बच्चा मां-बाप के साथ और उसके परिवार को खुशियों से भर दे रहा है। इधर आंखों में खुशी की आंसू लिये मुकेश और सीमा ने बताया कि आईवीएफ पटना मेरे लिए वरदान साबित हुआ है। हर जगह इलाज कराने के बाद थक चुकी थी। 13 बार फेल होने पर मेरी हिम्मत टूट चुकी थी लेकिन पटना सेंटर ने मेरी सूनी गोद को भर दिया और इतना कहते सीमा फफक कर रो पड़ी।

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