बिहार में जमीन से जुड़ा दिलचस्प मामला उजागर, पढ़ें क्या है मामला

पटना। बिहार में जमीन से जुड़ा संभवत: ऐसा पहला मामला सामने आया है जो काफी दिलचस्प है और आपको सोचने पर भी विवश कर देगा। यहां जमीन के निबंधन से पूर्व ही उक्त जमीन का दाखिल खारिज कर दिया गया है। जो बिहार के सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खोलती है। पूरा मामला पटना जिला के बख्तियारपुर स्थित करौता मौजा से जुड़ा है। मामला उजागर होते ही अंचल कार्यालय में चर्चाओं का बाजार गर्म है। वहीं अधिकारी इन मामलों से पल्ला झाड़ रहे हैं। बख्तियारपुर अंचल कार्यालय में जमीन के निबंधन से पूर्व ही दाखिल खारिज कर दिया गया है। जमीन की बिक्री 2017 में हुई थी लेकिन दाखिल खारिज अंचल कर्मियों द्वारा 2 वर्ष पूर्व 2015 में ही कर दिया गया। जिससे स्पष्ट झलकता है कि अंचल कार्यालय, बख्तियारपुर भ्रष्टाचार के दलदल में इस तरह समाहित है कि यहां पैसे के एवज में कर्मचारी असली को नकली और नकली को असली साबित करने में थोड़ा भी नहीं हिचकते हैं। इस मामले में अधिकारियों की संलिप्तता से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।

जानकारी के अनुसार करौता मौजा में खाता संख्या 22 खसरा संख्या 222 एवं खाता संख्या 11 खसरा संख्या 223 का कुल रकबा 18 डिसमिल है परंतु हलका 3 के राजस्व कर्मी राम विनय सिंह ने इस जमीन का जमाबंदी अन्य के नाम कर दिया है। हालांकि मामला उजागर होने के बाद अधिकारियों ने कार्यवाई शुरू कर दी है लेकिन रैयत ने अंचलाधिकारी पर ही आरोप लगाते हुए कहा कि सीओ खुद का बचाव करते हुए कर्मचारी राम विनय सिंह को फंसा रहे हैं। उसने मामले की जांच करवाने एवं आरोपियों पर कानूनी कार्रवाई करने की मांग राज्य सरकार से की है।

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