कर्पूरी ठाकुर के बाद नीतीश कुमार अतिपिछड़ों के सबसे बड़े हितैषी : राजीव रंजन
- आरक्षण पर भाजपा की नीति ‘मुंह में राम बगल में छूरी’ सरीखी
पटना। जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि कुर्सी के लिये छटपटा रही BJP सीएम नीतीश कुमार पर लाख शब्दबाण चला ले लेकिन हकीकत को नहीं बदल सकती। बिहार का बच्चा-बच्चा जानता है कि आज की तारिख में गरीबों, पिछड़ों व अतिपिछड़ों का नीतीश कुमार से बड़ा हितैषी और कोई नहीं है। भाजपा के तमाम विरोध के बावजूद गरीबों को 75 प्रतिशत का आरक्षण देकर उन्होंने इस बात को साबित किया है कि वह जो कहते हैं उसे हर हाल में पूरा करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि वास्तव में कर्पूरी ठाकुर के बाद नीतीश कुमार पहले ऐसे राजनेता हैं जिन्होंने अतिपिछड़े समाज के लिए ताल ठोक कर काम किया है। 1975 में कर्पूरी ठाकुर जी के नेतृत्व में अतिपिछड़ा समाज को पहली बार सरकारी नौकरियों में 12 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिला था। उनके बाद नीतीश कुमार जी ने ही इस समाज के तेज विकास के लिए उनके आरक्षण को बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया। इतना ही नहीं बल्कि अतिपिछड़ा समाज की नेतृत्व क्षमता को निखारने के लिए उन्होंने नगर निकायों व पंचायतों में भी हमारे समाज को 20 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया। उन्होंने आगे कहा कि अब आरक्षण का दायरा बढ़ा कर उन्होंने बिहार के दलितों, पिछड़ों-अतिपिछड़ों समेत समाज के हर वर्ग के गरीबों के लिए विकास के नए द्वार खोल दिए हैं। इतिहास में उनका नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। जदयू महासचिव ने आगे लिखा कि आरक्षण के मसले पर बीजेपी की नीति ‘मुंह में राम बगल में छूरी’ सरीखी रही है। दिखावे के लिए उनके नेता अतिपिछड़ों के पक्ष में बोलते हैं लेकिन पर्दे के पीछे से वह इस समाज के पीठ में छूरा घोंपते रहते हैं। जातिगत गणना से लेकर आरक्षण तक इनकी कथनी-करनी में भारी अंतर दिखायी दिया है। उन्होंने आगे लिखा कि नीतीश कुमार जहां कर्पूरी ठाकुर के सपनों को पूरा कर रहे हैं, वहीं भाजपा के नेता अपने अतिपिछड़े समाज के नेताओं को उनकी जयंती मनाने तक से रोकते हैं। अतिपिछड़े समाज के हित में रोहिणी आयोग द्वारा की गयी अनुशंसाओं को इन्होने आज तक लागू नहीं होने दिया। वही इसी तरह लगातार मांग के बाद भी बीजेपी राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना करवाने को तैयार नहीं है। इनके अतिपिछड़े समाज के अंधविरोध का इससे बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है?