पटना का अपार्टमेंट वाला गांव, अली अनवर ने लिया था गोद, स्थिति जर्जर

फुलवारी शरीफ (अजीत कुमार)। आपको सुनकर बड़ा ही अजीब और अटपटा लगा होगा। अपार्टमेंट्स वाला गांव। यह कैसा गांव है भला। फुलवारी शरीफ शहर के बाद इसी नोहसा गांव से ग्रामीण इलाकों की शुरूआत होती है। छ: सात वर्षों पूर्व नोहसा गांव भी ठीक वैसी ही दिखती थी, जैसा अन्य गांव दिखते हैं लेकिन हाल के कुछ वर्षों में इस नोहसा गांव में बनने वाले एक के बाद एक लगातार दर्जनों अपार्टमेंट्स की झड़ी लग गयी, जो अनवरत जारी है। नोहसा गांव अब अपार्टमेंट्स वाला गांव कहलाने लगा है। इन अपार्टमेंट्स में रहने वाले लोगों की लक्जरी वाहनों और डिजायनर कपड़ों की चमक-दमक के बावजूद यहां की सड़कें उबर-खाबर गड्ढों वाली ही है। लोग बताते हैं कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने अपार्टमेंट बनाने वाले लोगों के सिर ही इन खराब सड़कों की बदहाली का ठिकरा फोड़ दिया है। गांव अपार्टमेंट वाला है, इतना ही नहीं इस गांव के चारों ओर रिहायशी कॉलोनियां भी हैं। अपार्टमेंट्स और कॉलोनियों में रहने वालों में बड़े-बड़े हाकिम आॅफिसर और सफेदपोश लोग भी हैं लेकिन किसी को भी इस गांव के विकास से कोई मतलब नहीं रह गया है। इन बड़े-बड़े लोंगो के पास दिग्गज नेताओं-मंत्रियों का बराबर आना-जाना भी लगा रहता है। गांव की बदहाली की चर्चा भी होती है लेकिन विकास की बातें सिर्फ चाय पकौड़े तक ही सीमित रह जाती हैं।

फुलवारी शरीफ के 14 पंचायत में एक नाम नोहसा पंचायत का भी आता है जो कि विकास से काफी दूर है। इस गांव में ना ही पक्की सड़क और ना ही जल निकासी के लिए कोई बड़ा नाला है। नोहसा गांव में बड़ी-बड़ी इमारतें देखने को मिलती है लेकिन सड़क नाम का कोई चीज नहीं। देखा जाए तो वर्तमान सरकार या पूर्व सरकार का इस गांव पर कभी कोई ध्यान नहीं गया। सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत इस गांव को अली अनवर ने गोद लिया था, परंतु यहां के लोगों का कहना है कि वह आज तक इस गांव में कभी झांकने भी नहीं आए। फुलवारी के विधायक श्याम रजक ने भी नोहसा गांव के विकास के लिए कोई काम नहीं किया। स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव भी इस गांव में आए थे। उन्होंने इस गांव की सड़क को देख कर लोगों को आश्वासन दिया था कि इस गांव की सड़कों को जल्द से जल्द पक्कीकरण करने के लिए मैं सरकार से बात करूंगा। इस गांव की सड़कें नाले में तब्दील हो गई है। गलियों में नाला का पानी बहता रहता है तो लोगों ने ईंट रखकर उसी के सहारे पार होते हैं। मजबूरी में लोग इसी गंदे रास्ते से चलने को विवश हैं। लोगों का कहना है कि चुनाव के समय मंत्री विधायक बड़े बड़े वादे करते हैं और इलेक्शन के बाद कोई पूछने भी नहीं आता। वहीं लोगों का कहना है कि हमें पवित्र महीने रमजान में भी इसी गंदे रास्ते से आना जाना पड़ता है। वहीं मुखिया जी भी इधर झांकने नहीं आते।

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