स्मार्टफ़ोन यूजर्स के लिए बड़ी खुशखबरी : अब जल्द ही एक ही चार्जर से चार्ज होगें सभी कंपनियों के मोबाइल, एप्पल को होगा नुकसान

नई दिल्ली। हाल ही में यूरोपीय संघ ने सिंगल चार्जर स्टैंडर्ड प्रस्ताव को पारित किया है। इस नियम के तहत साल 2024 तक यूरोपीय संघ के देशों में सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, जैसे स्मार्टफोन, टैबलेट के लिए एक एक ही तरह का चार्जिंग पोर्ट इस्तेमाल हो सकेगा। यूरोप ने स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों से उनके फोन के साथ USB Type-C चार्जर देने का नियम बनाया है। अब भारत में भी इसी तरह के नियम लागू करने को लेकर चर्चाएं तेज है। एक शोध के मुताबिक, 78 फीसदी भारतीय उपभोक्ता सभी कंपनियों के स्मार्टफोन और टैबलेट के लिए समान रुप से प्रयोग किए जाने वाले यूएसबी चार्जिंग केबल चाहते हैं। उपभाक्ताओं का मानना है कि स्मार्टफोन कंपनियां अलग चार्जिंग पोर्ट सिर्फ इसलिए बनाती है क्योंकि उन्हें एक्सेसरीज बेचने में आसानी होगी है। कोई भी व्यक्ति दूसरी कंपनी का चार्जर इस्तेमाल नहीं कर सकता और उन्हें मजबूरन चार्जर खराब होने पर उसी कंपनी का चार्जर महंगे दामों में लेना पड़ता है।
एप्पल को होगा नुकसान
हालाकि, इस कदम से एंड्रॉइड स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों पर उतना असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि ज्यादातर एंड्रॉइड स्मार्टफोन चार्जिंग के लिए यूएसबी-सी पोर्ट का इस्तेमाल करते हैं। मगर भारत में ये प्रावधान लागू होने से ऐप्पल कंपनी को सदमा लगा सकता है। कम्यूनिटी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोकल सर्कल्स के आंकड़ें के मुबाबिक, हर 10 में से 5 भारतीय लोग कंपनियों द्वारा अलग चार्जर बेचने के पीछे सरकारी मानकों की कमी को कारण मानते हैं। वहीं, 10 में से 9 लोगों का मानना है कि सरकार को चार्जिंग केबल्स को लेकर मानक तैयार करना चाहिए।
अलग चार्जिंग केबल से उपभोक्ता नाखुश
इस शोध से यह भी स्पष्ट है कि अधिकांश भारतीय उपभोक्ता स्मार्टफोन, टैबलेट और उपकरणों के लिए अलग-अलग चार्जिंग केबल से नाखुश हैं। लोगों का मानना ​​है कि ब्रांड एक्सेसरीज की बिक्री को बढ़ाने के लिए जानबूझकर ऐसा करते हैं। चूंकि ब्रांडों द्वारा बनाए गए चार्जर्स की कीमत अधिक होती है, इसलिए अधिकांश लोग लोकल ब्रांड के चार्जर खरीदने को मजबूर होते हैं।
यूरोप के तर्ज पर बनेगा नियम
यूरोप के तर्ज पर अब भारतीय स्मार्टफोन उपभोक्ता भी यूएसबी चार्जिंग केबल्स के लिए सामान्य मानक बनाने की मांग कर रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो इससे उपभोक्ताओं की असुविधा तो कम होगी ही, साथ में चार्जिंग केबल सस्ते दामों पर मिल सकेंगे। गौरतलब है कि भारत में उपभोक्ता मामलों का विभाग जल्द ही उद्योग के प्रतिनिधियों से इस मसले को लेकर चर्चा कर सकता है।

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