प्रवासी मजदूरों के लिए अब तक नहीं हुई कोई सरकारी व्यवस्था, निस्वार्थ भाव से लगी है सोशल टीम

फतुहा। लॉक डाउन के फेज टू में भी इतने दिन गुजर जाने के बाद भी फतुहा के रास्ते गुजरने वाले प्रवासी मजदूरों के खाने-पीने व किसी तरह की मदद देने के लिए अब तक स्थानीय तौर पर सरकारी व्यवस्था नहीं हो पाई है। रविवार को भी प्रवासी मजदूरों का कई जत्था फतुहा स्टेट हाईवे व फोरलेन के रास्ते भूखे-प्यासे गुजरने को मजबूर दिखाई दिए। कोई इलाहाबाद से आ रहे हैं तो कोई लखनऊ से। किसी जत्थे को खगड़िया जाना है तो किसी को भागलपुर जाना है। प्रवासियों ने अपनी दुखड़ा भी सुनाया। फेज टू में पैसे खत्म हो गये। संबंधित कंपनी के ठेकेदारों ने किसी तरह की मदद करने से इंकार कर दिया। नजदीक में लॉक डाउन न टूटने की आस ने वहां पर रहने का मनोबल तोड़ दिया। अब अपने गांव जाने की ठान ली तो पैदल ही निकल पड़े। ऐसी स्थिति में सरकार के तरफ से कोई व्यवस्था नहीं है। नतीजा है कि निस्वार्थ भाव से सोशल टीम द्वारा इन लोगों को पहले सोशल डिस्टेंस का पालन करवाते हुए बैठाया जाता है। खाने-पीने की पैकेट दिए जाते हैं तथा रास्ते का भी खाना देकर विदा कर दिया जाता है।
