November 12, 2025

पटना के बाजारों में बढ़ी अंडे की डिमांड, कीमतों में वृद्धि, स्थानीय अंडा बना पहली पसंद

पटना। बिहार की राजधानी पटना में अंडे की खपत लगातार बढ़ रही है। ठंड अभी पूरी तरह नहीं आई है, लेकिन बाजारों में अंडे की मांग ने पहले से ही रफ्तार पकड़ ली है। इसी के साथ अंडे की कीमतों में भी तेज़ी देखी जा रही है। खास बात यह है कि अब पटना के लोगों की पसंद बदल गई है। पहले जहां यहां आंध्र प्रदेश, बंगाल और पंजाब से आने वाले अंडे अधिक बिकते थे, वहीं अब लोग स्थानीय स्तर पर उत्पादित अंडे — खासकर मोकामा और मुजफ्फरपुर के अंडे — को प्राथमिकता दे रहे हैं।
स्थानीय अंडे का बढ़ता आकर्षण
पटना के बाजारों में अब ग्राहकों की पसंद साफ तौर पर बदलती दिखाई दे रही है। अंडा विक्रेताओं का कहना है कि लोग अब स्थानीय अंडे को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। मोकामा और मुजफ्फरपुर के अंडे आकार में समान, स्वाद में ताजगीभरे और परत से मजबूत होते हैं। यही कारण है कि इनकी मांग बढ़ती जा रही है। थोक व्यापारी के अनुसार, पहले पटना में आंध्र प्रदेश, बंगाल और पंजाब से अंडे मंगाए जाते थे। इन जगहों से रोजाना एक दर्जन ट्रक अंडे आते हैं। लेकिन पिछले कुछ महीनों में उपभोक्ताओं का झुकाव बिहार में उत्पादित अंडों की ओर बढ़ा है। उन्होंने बताया कि पंजाब और दक्षिण भारत के अंडों की परत पतली होती है, जिसके कारण वे परिवहन के दौरान टूटने की संभावना अधिक रखते हैं। इसके विपरीत, बिहार के अंडे ज्यादा मजबूत होते हैं और ताजगी भी लंबे समय तक बनी रहती है।
कीमतों में आई तेजी
अंडे की बढ़ती मांग के साथ ही इसके दामों में भी तेजी आ गई है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष अंडे के एक कार्टन में 50 से 52 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। पहले जहां 30 अंडों का एक पत्ता (ट्रे) 185 रुपये में मिलता था, वहीं अब इसकी कीमत 195 से 200 रुपये तक पहुंच गई है। थोक बाजार में एक कार्टन (जिसमें सात पत्ते होते हैं) की कीमत अब 1,400 रुपये तक पहुंच गई है, जबकि पिछले साल इसी समय यह 1,300 रुपये थी। कारोबारियों का कहना है कि यह बढ़ोतरी अभी रुकने वाली नहीं है, क्योंकि आने वाले हफ्तों में ठंड बढ़ने के साथ ही मांग और बढ़ेगी।
बढ़ते दाने के दाम बने कारण
अंडे की कीमतों में वृद्धि का एक बड़ा कारण मुर्गी पालन से जुड़ी लागत में बढ़ोतरी भी है। मुर्गी के दाने (फीड) की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। किसानों और पोल्ट्री व्यवसायियों का कहना है कि फीड महंगा होने से उत्पादन लागत बढ़ गई है, जिसका सीधा असर अंडे के खुदरा दामों पर पड़ा है। पोल्ट्री फार्म चलाना अब पहले से महंगा हो गया है। दाने, दवाओं और बिजली की कीमतें बढ़ने से लागत बढ़ गई है। इसलिए बाजार में कीमतों में 8 से 10 रुपये प्रति पत्ता की बढ़ोतरी देखी जा रही है।”
खुदरा बाजार में 9 से 10 रुपये प्रति अंडा
खुदरा बाजारों में अंडे की कीमत फिलहाल 9 से 10 रुपये प्रति पीस तक पहुंच चुकी है। दुकानदारों का मानना है कि फिलहाल यह दर आगे और बढ़ सकती है। नवंबर के दूसरे सप्ताह तक तापमान में गिरावट आएगी, जिससे मांग और बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि, बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि अंडे के दामों में तेजी होने के बावजूद उपभोक्ताओं की खपत पर फिलहाल कोई खास असर नहीं पड़ा है। लोग अब भी अंडे को अपनी रोजमर्रा की डाइट में शामिल कर रहे हैं, क्योंकि यह सस्ता और पौष्टिक प्रोटीन स्रोत है।
रेस्टोरेंट उद्योग पर असर सीमित
अंडे के दाम बढ़ने से सबसे पहले रेस्टोरेंट्स और फास्ट-फूड आउटलेट्स पर असर पड़ता है, क्योंकि अंडा कई व्यंजनों का प्रमुख हिस्सा है। हालांकि, पटना के कई रेस्टोरेंट मालिकों का कहना है कि फिलहाल ग्राहकों पर इसका असर नहीं पड़ा है। राजधानी के एक प्रसिद्ध रेस्टोरेंट मालिक दिलीप सिंह ने बताया, “अंडे की कीमत बढ़ने से मुनाफे पर थोड़ी मार जरूर पड़ रही है, लेकिन ग्राहकों पर असर नहीं पड़ने दिया गया है। हम थोक में खरीदते हैं, इसलिए फिलहाल दरें थोड़ी नियंत्रित हैं।”उन्होंने बताया कि अंडा रोल, ऑमलेट, पेस्ट्री और बेकरी प्रोडक्ट्स में अंडे का उपयोग लगातार बढ़ा है। ऐसे में कीमतों में मामूली बढ़ोतरी भी रेस्टोरेंट के संचालन को प्रभावित करती है, लेकिन ग्राहक की सुविधा को ध्यान में रखते हुए दाम नहीं बढ़ाए गए हैं।
त्योहारों और ठंड का असर
छठ पूजा के बाद से अंडे की मांग परंपरागत रूप से बढ़ जाती है। कई लोग छठ व्रत के बाद सामान्य भोजन में लौटते हैं, जिससे अंडे की बिक्री में अचानक उछाल आता है। इसके अलावा, ठंड के मौसम में लोग अंडा खाने को अधिक स्वास्थ्यवर्धक मानते हैं, जो शरीर को ऊर्जा और गर्मी देता है। बाजार के जानकारों का कहना है कि दिसंबर और जनवरी में अंडे की मांग अपने चरम पर रहती है। यही कारण है कि व्यापारी पहले से स्टॉक बढ़ाने की कोशिश में रहते हैं, ताकि सप्लाई प्रभावित न हो।
स्थानीय उत्पादकों को मिला बढ़ावा
पटना और आसपास के जिलों में स्थानीय पोल्ट्री फार्मों को इस बढ़ती मांग से काफी लाभ हुआ है। मोकामा, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और नालंदा जैसे इलाकों में पोल्ट्री फार्मिंग तेजी से बढ़ रही है। इससे न केवल स्थानीय किसानों को आय का साधन मिला है, बल्कि बिहार अब धीरे-धीरे आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बढ़ रहा है। व्यापारियों का कहना है कि “स्थानीय अंडों की गुणवत्ता बेहतर है, इसलिए उपभोक्ता अब इन्हें प्राथमिकता दे रहे हैं। इससे राज्य के किसानों और पोल्ट्री उद्योग को नई मजबूती मिली है।”पटना में अंडे की बढ़ती डिमांड और स्थानीय अंडों की लोकप्रियता यह संकेत देती है कि उपभोक्ता अब गुणवत्ता और ताजगी को प्राथमिकता देने लगे हैं। कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद अंडे की खपत में कमी नहीं आई है। आने वाले दिनों में ठंड के साथ मांग और बढ़ने की संभावना है। मोकामा और मुजफ्फरपुर जैसे जिलों से आ रहे अंडे न केवल स्थानीय बाजार की जरूरतें पूरी कर रहे हैं, बल्कि बिहार के पोल्ट्री उद्योग को भी नई दिशा दे रहे हैं। कुल मिलाकर, पटना में अंडे का बाजार फिलहाल रफ्तार पर है, और स्थानीय उत्पादक इसके सबसे बड़े विजेता साबित हो रहे हैं।

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