नवादा में ककोलत झरने ने लिया रौद्र रूप, भारी बारिश से इलाका जलमग्न, पर्यटकों की एंट्री बंद

नवादा। नवादा जिले का ककोलत झरना अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और शीतल जलधारा के लिए प्रसिद्ध रहा है, लेकिन इस बार यह झरना अपने विकराल और रौद्र रूप के कारण चर्चा में है। झारखंड में लगातार हो रही भारी बारिश के चलते ककोलत झरने में अचानक पानी का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है। तेज बहाव और उग्र धारा ने क्षेत्र को दहशत में डाल दिया है। अब यह रमणीय स्थल प्राकृतिक सौंदर्य की जगह आपदा की आशंका का केंद्र बन गया है।
झरने की विकरालता से टूटी सुरक्षा व्यवस्था
ककोलत झरने में गिरने वाले पानी की रफ्तार इतनी तेज हो गई है कि उसके साथ आई धारा ने सीढ़ियों की रेलिंग तक को तोड़ दिया। पानी कुछ स्थानों पर ऊपर की ओर उछलता दिखाई दे रहा है, जिससे स्पष्ट होता है कि जल प्रवाह कितना शक्तिशाली और खतरनाक हो चुका है। पर्यटक क्षेत्र के रास्तों पर पानी इस कदर भर गया है कि सामान्य आवाजाही असंभव हो गई है।
पर्यटकों की आवाजाही पर लगा प्रतिबंध
सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासन ने ककोलत झरने के चारों ओर पर्यटकों के प्रवेश पर फिलहाल पूरी तरह से रोक लगा दी है। वन विभाग की टीम मौके पर लगातार निगरानी कर रही है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोका जा सके। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि जब तक जलस्तर सामान्य नहीं होता, तब तक किसी को भी झरने के पास जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
स्थानीय लोगों ने रिकॉर्ड किया भयावह दृश्य
ककोलत झरने का यह उग्र रूप स्थानीय लोगों के लिए भी नया अनुभव है। कई लोगों ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा किया है जिसमें जलप्रवाह की ताकत और उछाल साफ तौर पर देखा जा सकता है। इन वीडियो में झरने से गिरते पानी की तेज आवाज और उसकी गति देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कितनी बड़ी आपदा बन सकती है।
बारिश के चलते बाढ़ जैसे हालात
झरने के पास का पूरा इलाका जलमग्न हो गया है। झारखंड और बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण पानी की निकासी की समस्या भी सामने आ रही है। जलभराव के चलते आसपास के गांवों में भी सतर्कता बरती जा रही है। प्रशासनिक स्तर पर बाढ़ जैसे हालात से निपटने के लिए पहले से तैयारी की जा रही है।
पर्यटन स्थलों पर मौसम का प्रभाव
यह पहली बार नहीं है जब बारिश के मौसम में ककोलत झरना अपना भयावह रूप दिखा रहा है। हर साल मानसून के समय झरने में पानी की मात्रा और वेग इतना बढ़ जाता है कि वहां जाना खतरे से खाली नहीं होता। लेकिन इस बार की स्थिति और भी अधिक गंभीर मानी जा रही है, क्योंकि जलप्रवाह का दबाव न केवल पर्यटकों के लिए खतरनाक है, बल्कि क्षेत्रीय संरचनाओं के लिए भी चुनौती बन चुका है।
प्रशासन सतर्क, राहत की कोई खबर नहीं
फिलहाल राहत की बात यह है कि अभी तक किसी प्रकार की जनहानि या दुर्घटना की सूचना नहीं है। प्रशासन ने पहले ही समय पर सतर्कता दिखाकर एहतियाती कदम उठा लिए हैं। लोगों से अपील की गई है कि वे प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और अनावश्यक रूप से झरने की ओर रुख न करें। कुल मिलाकर, ककोलत झरना इस समय अपने ऐतिहासिक और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए नहीं, बल्कि एक जलप्रलय के रूप में लोगों के बीच चिंता और चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रशासन की निगरानी और स्थानीय लोगों की सतर्कता से अब यह आशा की जा रही है कि स्थिति जल्द ही सामान्य हो सकेगी।
