वैशाली में चार लोगों ने दलित महिला से किया रेप का प्रयास, जबरदस्ती जंगल में ले गए, शोर मचाने पर हुए फरार

वैशाली। बिहार के वैशाली जिले के चांदपुरा थाना क्षेत्र में एक दलित महिला के साथ अमानवीय व्यवहार और दुष्कर्म के प्रयास का मामला सामने आया है। रसूलपुर हबीब गांव की रहने वाली रनीता देवी 2 जून की शाम करीब साढ़े छह बजे खेत से घर लौट रही थीं। रास्ते में गांव के ही चार युवकों ने उनके साथ छेड़छाड़ की और जबरदस्ती जंगल में ले जाने की कोशिश की।
आरोपियों की पहचान और हरकतें
पीड़िता के अनुसार, जिन युवकों ने उसे रोका और जबरन जंगल में ले जाने की कोशिश की, वे दीपक कुमार, अंकज कुमार, नीतीश कुमार और अखिलेश राय हैं। इन लोगों ने महिला के साथ अश्लील हरकतें कीं और जातिसूचक गालियां दीं। साथ ही धमकी दी कि वह छोटी जाति की है, इसलिए उसके साथ कुछ भी किया जा सकता है। महिला द्वारा शोर मचाने पर चारों युवक हिंसक हो गए और उसे और उसके परिवार को जान से मारने की धमकी देने लगे।
गांव वालों की तत्परता और आरोपियों का भागना
महिला की चीख-पुकार सुनकर गांव के कुछ लोग घटनास्थल की ओर दौड़े। भीड़ को आता देख चारों आरोपी मौके से भाग खड़े हुए। इससे महिला को और अधिक अत्याचार से बचाया जा सका, लेकिन इस घटना ने पूरे गांव में दहशत का माहौल पैदा कर दिया।
पुलिस में शिकायत और कार्रवाई की मांग
पीड़िता ने घटना के तुरंत बाद चांदपुरा थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है। लेकिन पीड़िता का कहना है कि अब तक पुलिस द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। आरोपी अब भी खुलेआम गांव में घूम रहे हैं और केस वापस लेने की धमकी दे रहे हैं। यहां तक कि उन्होंने महिला के घर के पास अपने लोगों को निगरानी के लिए बैठा रखा है जिससे परिवार खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है।
प्रशासन का जवाब और लोगों की नाराजगी
महनार एसडीपीओ प्रवीण कुमार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि आरोपियों की तलाश जारी है और उन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर कड़ी सजा दी जाएगी। हालांकि, पीड़िता और गांव के लोगों का कहना है कि पुलिस की कार्रवाई बेहद धीमी है और इससे अपराधियों के हौसले बुलंद हो गए हैं।
सामाजिक तनाव और भय का माहौल
यह घटना सिर्फ एक महिला पर हमला नहीं है, बल्कि एक पूरी जाति और समुदाय के खिलाफ उत्पीड़न का प्रतीक बन गई है। ग्रामीणों का कहना है कि आए दिन दलित महिलाओं के साथ ऐसी घटनाएं हो रही हैं, लेकिन पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता से आरोपी बेखौफ हो गए हैं। पीड़िता के परिवार को सामाजिक बहिष्कार और मानसिक तनाव झेलना पड़ रहा है।
जरूरत है सख्त कार्रवाई की
इस प्रकार की घटनाएं समाज में जातिगत भेदभाव और महिला उत्पीड़न की भयावह स्थिति को उजागर करती हैं। अगर समय रहते आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो यह न्याय प्रणाली की विफलता मानी जाएगी। प्रशासन को पीड़िता और उसके परिवार को सुरक्षा मुहैया करानी चाहिए और जल्द से जल्द आरोपियों को गिरफ्तार कर सजा दिलानी चाहिए, ताकि ऐसे मामलों में पीड़ितों को न्याय मिल सके और समाज में विश्वास बहाल हो।
