बिहार में चुनावी अभियान की कल से शुरुआत करेंगे ओवैसी, दो दिवसीय दौरे पर आएंगे बिहार

पटना। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी 3 मई से बिहार में अपने चुनावी अभियान की शुरुआत करने जा रहे हैं। दो दिवसीय दौरे पर ओवैसी सबसे पहले सीमांचल क्षेत्र के बहादुरगंज में जनसभा को संबोधित करेंगे। ओवैसी की पार्टी ने बहादुरगंज से अपने उम्मीदवार की घोषणा भी कर दी है और उनका दावा है कि इस बार एआईएमआईएम पहले से बेहतर प्रदर्शन करेगी। बिहार के सीमांचल क्षेत्र, जिसमें किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार जैसे जिले शामिल हैं, मुस्लिम बहुल माने जाते हैं। खासकर किशनगंज में मुस्लिम आबादी लगभग 67 प्रतिशत है। यही क्षेत्र एआईएमआईएम के लिए मजबूत जनाधार साबित हुआ है। पिछले विधानसभा चुनावों में एआईएमआईएम ने बिहार की 18 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 5 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके अलावा कुछ क्षेत्रों में एआईएमआईएम के उम्मीदवारों ने आरजेडी के प्रत्याशियों की हार में भी भूमिका निभाई थी, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि पार्टी ने विपक्षी समीकरणों को प्रभावित किया। ओवैसी ने कहा है कि उनकी पार्टी सीमांचल की जनता के साथ मजबूती से खड़ी है और जो लोग उनके विधायकों को तोड़ने की कोशिश करते हैं, उन्हें जनता सबक सिखाएगी। उनका यह बयान उस समय की याद दिलाता है जब उनके कुछ विधायक चुनाव जीतने के बाद अन्य दलों में शामिल हो गए थे। इस बार एआईएमआईएम अपने उम्मीदवारों को लेकर और भी सजग नजर आ रही है। ओवैसी ने जातीय जनगणना के मुद्दे को भी जोरशोर से उठाया। उन्होंने कहा कि यह जानना जरूरी है कि कौन सी जातियां अब भी विकास से वंचित हैं और कौन सी आगे बढ़ चुकी हैं। उन्होंने ओबीसी आरक्षण की सीमा 27% तक ही सीमित रखने को अनुचित बताया और कहा कि इससे सामाजिक न्याय अधूरा रह जाता है। उनका सवाल है कि क्या सरकार यह जनगणना 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले पूरी कर पाएगी। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि आरएसएस की एक बैठक केरल में हुई थी, जिसमें जातीय जनगणना पर चर्चा की गई थी। ऐसे में ओवैसी ने केंद्र सरकार से स्पष्ट मांग की है कि वह बताए कि जातीय जनगणना कब शुरू की जाएगी और कब इसके आंकड़े सार्वजनिक किए जाएंगे। कुल मिलाकर, ओवैसी बिहार में न सिर्फ अपनी राजनीतिक ताकत को फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि सामाजिक न्याय जैसे गंभीर मुद्दों को चुनावी मंच पर ला रहे हैं। उनका यह दौरा सीमांचल की राजनीति में एक नई सरगर्मी ला सकता है।

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