हरित क्रांति को हराने की घिनौनी भाजपाई साजिश हैं तीन काले कानून : कांग्रेस

खेत-खलिहान को पूंजीपतियों के हाथ गिरवी रखने का षड्यंत्र कर रही भाजपा-जदयू सरकार


पटना। कांग्रेस के पांच दिग्गज नेताओं ने कृषि बिल को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला है। कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला, सांसद सह बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल, कैबिनेट मंत्री टी.एस. सिंह देव, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा एवं विधायक सदानंद सिंह ने साझा बयान जारी कर कहा है कि मोदी सरकार ने तीन काले कानूनों के माध्यम से किसान, खेत-मजदूर, छोटे दुकानदार, मंडी मजदूर व कर्मचारियों की आजीविका पर एक क्रूर हमला बोला है। किसान-खेत मजदूर के भविष्य को रौंदकर मोदी जी-नीतीश बाबू ने उनके भाग्य में बदहाली और बर्बादी लिख दी है। यह किसान, खेत और खलिहान के खिलाफ एक घिनौना षड्यंत्र है। आज देश भर में 62 करोड़ किसान-मजदूर व 250 से अधिक किसान संगठन इन काले कानूनों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व बिहार की भाजपा-जदयू सरकारें सब ऐतराज दरकिनार कर देश को बरगला रहे हैं। अन्नदाता किसान की बात सुनना तो दूर, संसद में उनके नुमाईंदो की आवाज को दबाया जा रहा है और सड़कों पर किसान मजदूरों को लाठियों से पिटवाया जा रहा है। संसद में संविधान का गला घोंटा जा रहा है और खेत-खलिहान में किसानों-मजदूरों की आजीविका का।
उक्त नेताओं ने कहा कि किसान विरोधी यह तजुर्बा नीतीश कुमार के नेतृत्व में साल 2006 में बिहार में शुरू किया गया था और अब घुन की तरह पूरे देश की खेती और किसानी को तीन कृषि विरोधी काले कानूनों की शक्ल में निगल गया। लेकिन किसान-खेत मजदूर की बुलंद आवाज को बहुमत की गुंडागर्दी से नहीं दबाया जा सकता। महामारी की आड़ में किसानों की आपदा को मुट्ठीभर पूंजीपतियों के अवसर में बदलने की मोदी सरकार की साजिश को देश का अन्नदाता किसान व मजदूर कभी नहीं भूलेगा। मोदी सरकार व उसके मददगार हर राजनैतिक दल की सात पुश्तों को इस किसान विरोधी दुष्कृत्य के परिणाम भुगतने पड़ेंगे। उक्त नेताओं ने कहा कि कांग्रेस देश के किसान व खेत मजदूर के साथ कंधे से कंधा मिलाकर तब तक निर्णायक लड़ाई लड़ेगी जब तक इन काले कानूनों को खत्म नहीं कर देंगे।
किसान व कांग्रेस के मुखर एतराज इस प्रकार हैं
1. अगर अनाज मंडी-सब्जी मंडी व्यवस्था यानि एपीएमसी पूरी तरह से खत्म हो जाएगी, तो कृषि उपज खरीद प्रणाली भी पूरी तरह नष्ट हो जाएगी। ऐसे में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य कैसे मिलेगा, कहां मिलेगा और कौन देगा? क्या एफसीआई साढ़े पंद्रह करोड़ किसानों के खेत से एमएसपी पर उनकी फसल की खरीद कर सकती है? अगर बड़ी-बड़ी कंपनियों द्वारा किसान की फसल को एमएसपी पर खरीदने की गारंटी कौन देगा? एमएसपी पर फसल न खरीदने की क्या सजा होगी? मोदी जी इनमें से किसी बात का जवाब नहीं देते।
इसका जीता जागता उदाहरण भाजपा-जनता दल शासित बिहार है। साल 2006 में अनाज मंडियों को खत्म कर दिया गया। आज बिहार के किसान की हालत बद से बदतर है। बिहार के किसान एमएसपी न मिलने के कारण रोज पिट रहा है।
2. तीनों कानूनों में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी शब्द की चर्चा तक नहीं है। अगर मोदी सरकार व भाजपा-जदयू सरकारों के मन में बेईमानी नहीं, तो वह इन कानूनों में एमएसपी की गारंटी क्यों नहीं देते? कानून में ऐसा क्यों नहीं लिखते कि किसान को एमएसपी देना अनिवार्य है तथा उससे कम खरीद करने पर सरकार नुकसान की भरपाई करेगी और दोषी को सजा देगी।
3. मोदी सरकार का दावा कि अब किसान अपनी फसल देश में कहीं भी बेच सकता है, पूरी तरह से सफेद झूठ है। आज भी किसान अपनी फसल किसी भी प्रांत में ले जाकर बेच सकता है, परंतु वास्तविक सत्य क्या है? कृषि सेंसस 2015-16 के मुताबिक, देश का 86 प्रतिशत किसान 5 एकड़ से कम भूमि का मालिक है। जमीन की औसत मल्कियत 2 एकड़ या उससे कम है। ऐसे में 86 प्रतिशत किसान अपनी उपज नजदीक अनाज मंडी-सब्जी मंडी के अलावा कहीं और ट्रांसपोर्ट कर न ले जा सकता या बेच सकता।
4. मंडियां खत्म होते ही अनाज-सब्जी मंडी में काम करने वाले लाखों-करोड़ों मजदूरों, आढ़तियों, मुनीम, ढुलाईदारों, ट्रांसपोर्टरों, शेलर आदि की रोजी रोटी और आजीविका अपने आप खत्म हो जाएगी। बिहार इसका एक उदाहरण है।
5. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अध्यादेश की आड़ में मोदी सरकार असल में शांता कुमार कमेटी की रिपोर्ट लागू करना चाहती है, ताकि एफसीआई के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद ही न करनी पड़े और सालाना 80,000 से 1 लाख करोड़ की बचत हो। इसका सीधा प्रतिकूल प्रभाव खेत खलिहान पर पड़ेगा।
6. अध्यादेश के माध्यम से किसान को ठेका प्रथा में फंसाकर उसे अपनी ही जमीन में मजदूर बना दिया जाएगा। क्या दो से पांच एकड़ भूमि का मालिक गरीब किसान बड़ी-बड़ी कंपनियों के साथ फसल की खरीद-फरोख्त का कॉन्ट्रैक्ट बनाने, समझने व साईन करने में सक्षम है?

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