सत्तर घाट महासेतु : जब मामले ने पकड़ा राजनीतिक तूल, तो लिखी गई फिल्मी पटकथा और हो गया दे दना दन….

पटना। बिहार के गोपालगंज के सत्तर घाट महासेतु के एप्रोच रोड के गंडक नदी के तेज धार में ध्वस्त होने के बाद मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है और विभिन्न राजनीतिक दलों ने राज्य सरकार पर जांच के लिए दवाब बनाना शुरू कर दिया है। बता दें यह वही पुल है जिसे बीते 16 जून को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना से आॅनलाईन उद्घाटन किया था। लेकिन सत्तर घाट महासेतु के एप्रोच रोड के ध्वस्त होने के बाद इसकी फिल्मी पटकथा भी लिखनी शुरू हो गई। मामले को दबाने के लिए राज्य सरकार जितनी मुस्तैदी से इंजीनियर, ठेकेदार, कंस्ट्रक्शन कंपनी को क्लीन चिट देने का काम किया है, अगर उसी मुस्तैदी से एप्रोच रोड के नदी में समाहित होने के मामले की जांच कराने की आदेश देती तो लोगों के बीच कुछ अलग मैसेज जाता, लेकिन आज हम नीतीश कुमार के उस बयान को याद दिलाते हैं जब वे दोहराते रहे हैं कि नीतीश सरकार न किसी को बचाती है और न ही किसी को फंसाती है। आज इस बयान का उल्लेख करना इसलिए जरूरी है क्योंकि सत्तर घाट महासेतु के एप्रोच रोड के ध्वस्त होने के मामले में शासन ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए ग्रामीणों व स्थानीय नेताओं पर ही एफआईआर दर्ज कराने का आदेश जारी कर दिया है। उक्त आदेश बैकुंठपुर के सीओ ने दिया है।
उल्लेखनीय है कि गोपालगंज के सत्तर घाट महासेतु के एप्रोच रोड ध्वस्त होने का मामला मीडिया में बुधवार की शाम आता है। मीडिया में खबर आने के बाद से ही शासन में खलबली मच जाती है कि आखिर एक माह में ही 246 करोड़ की लागत से बना पुल कैसे 29 दिनों में ही धराशायी हो गया। उसी वक्त से फिल्मी पटकथा लिखने का खेल शुरू हो जाता है। अगले दिन गुरूवार को विपक्षी पार्टियां यहां तक की राजग के ही घटक दल लोजपा के चिराग पासवान नीतीश सरकार पर हमलावर हो जाते हैं और सरकार से मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग करने के साथ ही जीरो टालरेंस पर सवाल उठाते हैं। इस बीच पथ निर्माण विभाग द्वारा उक्त महासेतु का एक वीडियो क्लिप मीडिया में जारी किया जाता है और पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव मीडिया में चल रही खबर को तथ्यहीन बताते हुए कहते हैं कि सत्तर घाट मुख्य पुल से लगभग 2 किलोमीटर दूर गोपालगंज की ओर एक 18 मीटर लंबाई के छोटे पुल की पहुंच पथ कट गया। यह छोटा पुल गंडक नदी के बांध के अंदर अवस्थित है। गंडक नदी में पानी का दबाव गोपालगंज की ओर ज्यादा है। इस कारण पुल के पहुंच सड़क का हिस्सा कट गया है। साथ ही यह भी स्पष्ट करते हैं कि इस योजना में कोई अनियमितता का मामला सामने नहीं आया है, यह प्राकृतिक आपदा है।
लेकिन सबसे अहम सवाल है कि मीडिया में शुरूआती दौर से खबर यही प्रसारित हुई कि महासेतु का एप्रोच रोड ध्वस्त हुआ है, लेकिन विभाग ने महासेतु को सामने रखकर खेल खेलना शुरू कर दिया, ताकि विपक्ष की आवाज को किसी न किसी तरह कमजोर किया जा सके। वहीं एक अहम सवाल यह भी खड़ा होता है कि मात्र 24 घंटे के अंदर योजना में कोई अनियमितता नहीं होने को लेकर इंजीनियर, ठेकेदार, कंस्ट्रक्शन कंपनी को क्लीन चिट दे दिया जाता है, जो सिर्फ बिहार में ही हो सकता है। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि अगर किसी भी रास्ते का संपर्क पथ ही ध्वस्त हो जाएंगे तो महासेतु हो या सड़क, 200 करोड़ का हो या एक हजार करोड़ का, वह महज शोभा की वस्तु बन जाएगी।
बीते दो दिनों से महासेतु पर जारी राजनीति के बीच आज तेजस्वी यादव ने एक वीडियो सोशल प्लेटफार्म पर जारी किया है, जिसमें एक व्यक्ति उक्त एप्रोच रोड के संदर्भ में कह रहा है कि जिस तरह से एप्रोच रोड का निर्माण किया गया है, वह आने वाले दिनों में गंडक में पानी के दवाब को ज्यादा दिनों तक नहीं झेल पाएगा। वहीं तेजस्वी ने नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए पिछले 48 घंटे में तीन एफआईआर दर्ज करायी है। खासियत तो यह है कि इन तीनों एफआईआर में सरकार के द्वारा करप्ट अधिकारियों-ठेकेदारों के नेक्सस के बजाए स्थानीय ग्रामीणों तथा स्थानीय नेताओं पर मामला दर्ज कराया गया है।
इधर, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा सत्तर घाट पहुंच कर एप्रोच रोड का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने पथ निर्माण मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि मंत्री जी जांच के बदले दोषियों को क्लीन चिट दे रहे हैं। इस दौरान पुल निर्माण के एमडी, पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव सत्तर घाट महासेतु का निरीक्षण करने पहुंचे हैं।

About Post Author

You may have missed