शुभ योगों के महासंयोग में दिवाली 14 नवंबर को, लक्ष्मी पूजा से मिलेगा धन-वैभव का वरदान, जानिए दीप किस संख्या में जलाएं

पटना। कार्तिक कृष्ण अमावस्या 14 नवंबर (शनिवार) को प्रदोष काल तथा रात्रि व्यापिनी अमावस्या होने से दीपोत्सव यानि दीपावली का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। धनतेरस से शुरू दीप उत्सव का पर्व अपने चरम पर होता है। पंच दिवसीय दीपावली का त्योहार धनतेरस से आरंभ होकर भाई दूज के दिन समाप्त होता है। उजाला का यह त्योहार पूरे पांच दिनों का त्योहार होता है। इस दिन सभी घर, आफिस, कारखानों में मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना कर उन्हें प्रसन्न करने में बिताते हैं। इस दिन लक्ष्मी-गणेश के साथ कुबेर व सरस्वती की पूजा भी होती है।
शुभ योग का बना महासंयोग
फलित ज्योतिषाचार्य व कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा ने बताया कि दीपावली के दिन स्वाति नक्षत्र, सौभाग्य, सिद्धि व सर्वार्थ सिद्धि योग में माता लक्ष्मी की पूजा की जाएगी। इस सभी शुभ योगों के महासंयोग में माता लक्ष्मी की पूजा करने से सुख, समृद्धि, धन-संपदा, ऐश्वर्य और सामर्थ्य में वृद्धि होगी और इसका सकारात्मक असर लंबी अवधि तक रहेगा। दिवाली शनिवार दिन होने से माता लक्ष्मी के साथ न्याय के देवता भगवान शनि की भी असीम कृपा प्राप्त होगी। इस दिन लक्ष्मी पूजा में माता को सुगंधित इत्र, कमल पुष्प, कौड़ी, कमलगट्टा अर्पण करने से प्रसन्न होती हैं और मनचाहा वरदान देती हैं।
स्वाति नक्षत्र में पूजा से मिलेगा सफलता का वरदान
पंडित झा के अनुसार, दीपावली पर स्वाति नक्षत्र विद्यमान रहेगा। मान्यताओं के अनुसार आयुष्मान सौभाग्य व सिद्धि योग में किए शुभ कार्य लंबे समय तक शुभ फल प्रदान करता है और जीवनभर सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। वहीं सर्व सिद्धि को देने वाला सर्वार्थ सिद्धि योग सदा मंगलकारी होता है। इसे भाग्योदय करने वाला भी माना गया है। स्वाति 15वां नक्षत्र है। इसका स्वामी राहु यानी अंधकार है। जिस तरह स्वाति नक्षत्र में ओस की बूंद सीप पर गिरती है तो मोती बनती है, ठीक उसी प्रकार इस नक्षत्र में जातक की ओर से किया कार्य उसे सफलता की चमक प्रदान करता है।
पौराणिक काल से ही दीपावली की परंपरा
दीपावली की परंपरा रामायण एवं महाभारत काल से ही देश में रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से वापस अयोध्या लौटने और पांडवों के 13 वर्ष के वनवास-अज्ञातवास से लौटने पर लोगों ने दीप जलाकर अपनी खुशी जाहिर किया था। स्कंध पुराण, विष्णु पुराण के मुताबिक भगवान विष्णु तथा माता लक्ष्मी के विवाह के उपलक्ष्य में दीपावली मनायी जाती है।
सकारात्मक ऊर्जा देता है दीपक
ज्योतिषी झा के अनुसार, पंच दिवसीय दीपोत्सव के अंतर्गत घर, मंदिर, पूजन स्थल में घी या तेल का दीपक जलाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का ह्रास होकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे घर के सदस्यों को यश एवं प्रसिद्धि मिलती है। दीपावली के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा में उत्तर दिशा में दीपक रखने से घर में धन-संपदा, ऐश्वर्य, मानसिक शांति, उन्नति होती है। उत्तरदिशा में दीप जलाने से स्वास्थ्य व प्रसन्नता में वृद्धि, पूर्व दिशा में जलाने से चिरायु, निरोगता होती है। दीपक सम संख्या में दीप जलाने से ऊर्जा का संवहन निष्क्रिय हो जाता है, वहीं विषम संख्या में दीपक जलाने पर वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है।

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