माता के षष्टम स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा से शक्ति संचार व बनेंगे वैवाहिक योग

बुधवार को नवरात्र के पांचवें दिन में मोक्ष की कामना से हुई स्कंदमाता की पूजा


पटना। शारदीय नवरात्र के पांचवे दिन कल बुधवार को शोभन योग में श्रद्धालुओं ने मोक्ष की कामना से जगत जननी मां दुर्गा के पंचम रूप स्कंदमाता की पूजा की गई। वहीं गुरूवार को छठे दिन माता के षष्टम स्वरूप कात्यायनी देवी के रूप में पूजा की जाएगी। भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने कात्यायनी माता के बारे में बताया कि इस देवी का स्वरूप अत्यंत दिव्य, चमकीला और प्रकाशमान है। माता की चार भुजाएं हैं। देवीश्री के दाहिने ओर का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में तथा नीचे वाला हाथ वरमुद्रा में है। बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल पुष्प सुसज्जित है।


देवी कात्यायनी की उत्पत्ति
आचार्य राकेश झा ने स्कंद पुराण के हवाले से बताया कि देवी के कात्यायनी रूप की उत्पत्ति परमपिता परमेश्वर के नैसर्गिक क्रोध से हुई थी। वहीं वामन पुराण के अनुसार, सभी देवताओं ने अपनी ऊर्जा को बाहर निकालकर कात्यायन ऋषि के आश्रम में इकट्ठा किया और कात्यायन ऋषि ने उस शक्तिपूंज को एक देवी का रूप दिया। जो देवी पार्वती द्वारा प्राप्त सिंह पर विराजमान थी। कात्यायन ऋषि ने रूप दिया इसलिए वो देवी कात्यायनी के नाम से प्रसिद्ध हुई और उन्होंने ही महिषासुर का वध किया।
देवी कात्यायनी की पूजा से बनेंगे वैवाहिक योग
देवी कात्यायनी की पूजा करने से भक्तजनों में शक्ति का संचार होता है और वो इनकी कृपा से अपने दुश्मनों का संहार करने में सक्षम हो पाते हैं। इनकी पूजा से हर तरह के संकट दूर हो जाते हैं। मां कात्यायनी की पूजा से अविवाहित लड़कियों के विवाह के योग बनते हैं और सुयोग्य वर भी मिलता है। देवी कात्यायनी की पूजा से रोग, शोक, संताप, भय आदि का नाश हो जाता है। देवी कात्यायनी की पूजा करने से हर तरह का भय भी दूर हो जाता है।
प्रदोष काल में इस देवी की पूजन श्रेष्ठ
माता कात्यायनी की पूजा प्रदोष काल यानी गोधूली बेला में करना श्रेष्ठ माना गया है। शैलपुत्री सहित अन्य देवियों की तरह इनकी भी पूजा की जाती है। इनकी पूजा में शहद का प्रयोग विशेष रूप से जरूर किया जाता है, क्योंकि इस देवी मां को शहद बहुत प्रिय है। शहद युक्त पान का भोग, लाल रंग के वस्त्र माता को अर्पण किया जाता है।
एकांतवास में करें देवी आराधना
ज्योतिषी झा ने कहा कि जैसे पौराणिक काल में साधु, संत, महात्मा, ब्राह्मण, पंडित आदि लोक एकांतवास होकर भगवान का ध्यान, पाठ, जाप आदि करते थे, ठीक उसी प्रकार आज के समय में कोरोना महामारी के कारण हम सब अपने घरों में रह रहे हैं। इसी दौरान एकांतवास होकर अपने घर में ही माता की पूजा, आराधना करें।
देवी कात्यायनी का पूजा मंत्र
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना ।
कात्यायनी च शुभदा देवी दानवघातिनी ॥

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