बिहार में कोरोना से जुलाई महीने में 13 डॉक्टरों की हुई मौत, आईएमए ने कही यह बात

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पटना। बिहार में वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण ने बीते एक माह के दौरान कई डॉक्टरों की जान ले ली है। समस्तीपुर जिले के सिविल सर्जन समेत 13 डॉक्टरों को मौत की नींद सुला दी और इन सभी डॉक्टरों की मौत जुलाई महीने में ही हुई है। गौर करने वाली बात यह है कि मरने वाले सभी डॉक्टरों की उम्र 60 से लेकर 67 वर्ष के बीच की है।
ये डॉक्टर हुए कोरोना के शिकार
पटना एम्स में 13 जुलाई को गया के डॉ. अश्विनी कुमार (59 वर्ष) की मौत हो गई। डॉ. अश्विनी जनरज फिजिशियन भी थे और प्राइवेट क्लिनिक भी चलाते थे। अगले ही दिन 14 जुलाई को ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. एनके सिंह (69 वर्ष) की भी कोरोना ने जान ले ली। डॉ. कल्याण कुमार (70 वर्ष) की 20 जुलाई, समस्तीपुर के सिविल सर्जन डॉ. आरआर झा और अररिया के डॉ. जीएन साह (70 वर्ष) की 22 जुलाई को मौत हो गई। इसी तरह 24 जुलाई को तीन डॉक्टरों की, मसौढ़ी के डॉ. अवधेश कुमार सिंह, सुपौल के डॉ. महेंद्र चौधरी और पीएमसीएच के रेडियोलॉजी विभाग के पूर्व विभागध्यक्ष डॉ. मिथिलेश कुमार सिंह की मौत हो गई। मुंगेर के डॉ. डीएन चौधरी की 25 जुलाई को मौत हो गई। वहीं 30 जुलाई को चार डॉक्टरों पूर्वी चंपारण के आदमपुर निवासी डॉ. नागेंद्र प्रसाद, मुजफ्फरपुर के मेजर रिटायर्ट डॉ. एके सिंह, मसौढी अनुमंडल अस्पताल में तैनात डॉक्टर के राजन और दंत चिकित्सक डॉ. गोविंद प्रसाद भी कोरोना से जंग हार गए।
बिहार आईएमए की ये मांग
बिहार आईएमए के सेक्रेटरी डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि हमने राज्य सरकार से कई बार अनुरोध किया है कि जिन डॉक्टरों की उम्र 60 और 65 के बीच की है और वो कोविड-19 केस को देख रहे हैं उन्हें घर से काम करने की सुविधा उपलब्ध कराई जाये लेकिन अभी तक इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया। वहीं बिहार आईएमए के उपाध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकारी अस्पतालों में जो पीपीई किट दिया गया है, उसकी क्वालिटी बहुत अच्छी नहीं है। हाल ही में जब दिल्ली से आई टीम ने एनएमसीएच का दौरा किया था तो उन्होंने भी पीपीई किट की क्वालिटी को सही नहीं बताया था।

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