बालिका गृह कांड : जुर्माने पर रोक की ब्रजेश की याचिका का सीबीआई ने किया विरोध

CENTRAL DESK : बिहार की बहुचर्चित आश्रय गृह कांड, जिसने सत्ता के गलियारे में हड़कंप मचा दिया था। महीनों तक पक्ष-विपक्ष में खूब तीखे बयानबाजी का दौर भी चला था। उसी मामले में दिल्ली के तिहाड़ जेल में मुजफ्फरपुर जिले के एक आश्रय गृह में कई लड़कियों के यौन उत्पीड़न के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे ब्रजेश ठाकुर की दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका का सीबीआई ने मंगलवार को विरोध किया। याचिका में ब्रजेश ठाकुर ने अपने ऊपर लगाए गए करीब 32 लाख रुपये के जुर्माने को स्थगित करने की अपील की है।
सीबीआई ने कहा कि ठाकुर पर जुमार्ना लगाए जाने के मामले में कोई पूर्वाग्रह नहीं बरता गया है क्योंकि उसे यौन उत्पीड़न, षड्यंत्र और अपहरण के कई गंभीर मामलों के तहत दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है. जांच एजेंसी ने अपने जवाब में कहा कि जुर्माना उचित और न्याय हित में है तथा ठाकुर इस जुर्माने का भुगतान करने के लिये बाध्य है। यह मामला न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ के समक्ष आया था।
पीठ ने कहा कि सीबीआई का जवाब रिकॉर्ड पर नहीं है। पीठ ने वकील को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि एजेंसी का जवाब उसके समक्ष रखा जाए। उच्च न्यायालय इस मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली ठाकुर और सह-दोषी तथा बाल कल्याण समिति के तत्कालीन अध्यक्ष दिलीप वर्मा द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई कर रहा था। वर्मा को भी निचली अदालत ने इस मामले में मृत्यु होने तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
इस मामले में निचली अदालत का रिकार्ड 86,000 पन्नों का है। इसलिए उच्च न्यायालय ने वर्मा की ओर पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर और ठाकुर की ओर से पेश वकील प्रमोद कुमार दुबे को संबंधित दस्तावेजों का संकलन कर उन्हें पेश करने के लिये कहा। अदालत ने मामले की सुनवाई 15 सितंबर तक स्थगित कर दी। बता दें दिल्ली की एक निचली अदालत ने ठाकुर को ”मृत्यु तक कठोर आजीवन कारावास” की सजा सुनाते हुए 32.20 लाख रुपये का भारी भरकम जुर्माना लगाया था।

About Post Author

You may have missed