BIHAR : आरसीपी को जदयू का बागडोर, बनाए गए राष्ट्रीय अध्यक्ष; अब ललन सिंह और संतोष कुशवाहा केंद्र में बन सकते हैं मंत्री

पटना। बिहार के सियासी गलियारे में रविवार को तेजी से घटी घटनाक्रम ने सबों को अचंभे में डाल दिया। जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक नीतीश कुमार की अध्यक्षता में पार्टी के प्रदेश मुख्यालय स्थित कर्पूरी ठाकुर सभागार में रविवार को शुरू हुई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी अपने करीबी रामचंद्र प्रसाद (आरसीपी) सिंह को सौंप दी। बैठक में नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह के नाम का प्रस्ताव दिया। सीएम नीतीश के प्रस्ताव पर परिषद् के सभी सदस्यों ने मुहर लगा दी। नीतीश कुमार ने तर्क दिया कि मैं 2 पदों की जिम्मेदारी एक साथ नहीं संभाल सकता। जबकि इसके पहले खुद नीतीश कुमार जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। इसके साथ ही जदयू से राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह के केंद्र में मंत्री बनने का रास्ता भी बंद हो गया। अब ललन सिंह और संतोष कुशवाहा केंद्र में मंत्री बन सकते हैं।
बता दें आरसीपी सिंह आईएएस कैडर के सेवानिवृत पदाधिकारी हैं, साथ ही राष्ट्रीय महासचिव होने के नाते पार्टी को मजबूत करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। वे पिछले दो बार से राज्यसभा के सदस्य हैं। वो पहली बार 2010 में राज्यसभा पहुंचे थे और उसके बाद 2016 में फिर से नीतीश कुमार ने उनपर विश्वास जताते हुए राज्यसभा भेजा था। नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह की पहचान उनके रेल मंत्री के कार्यकाल से है, जब वह उनके निजी सचिव थे और इसके बाद जब नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने तो वह पांच वर्षों तक उनके प्रधान सचिव रहे।


बैठक में अरुणाचल का मुद्दा भी उठा
जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल और झारखंड से आए प्रतिनिधियों ने भी शिरकत किया। बैठक शुरू होने से पूर्व पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव संजय झा ने कहा कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तमाम मुद्दों पर चर्चा होगी, जिसमें अरुणाचल प्रदेश का मुद्दा भी शामिल है। हालांकि उन्होंने दावा किया कि अरुणाचल प्रदेश का असर बिहार में नहीं होगा। जदयू के विधायक अरुणाचल में सरकार को समर्थन दे रहे थे इसके बाद भी ऐसी घटना हुई, यह मंथन का विषय है। संजय झा ने विपक्षी पार्टी की ओर से इस मामले को लेकर निशाना साधे जाने पर कहा कि उनके पास इसके अलावा कोई काम नहीं रह गया है। विपक्ष सिर्फ सपना देखते रहे, सरकार पांच साल तक मजबूती के साथ चलेगी। उन्होंने कहा कि इन पांच सालों में किसी के लिए कोई संभावना नहीं है। वहीं जदयू के वरिष्ठ नेता एवं विधायक श्रवण कुमार ने कहा कि कभी खुशी कभी गम का दौर आता रहता है। पार्टी पहले से इसका सामना करती रही है। उन्होंने कहा कि जदयू हर स्थिति से निपट लेगा। बता दें बीते शनिवार को चली बैठक में पार्टी के 25 नेताओं ने हिस्सा लिया था। बैठक में जाने से पहले जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी के बयान पर भाजपा और जदयू के बीच तलिख्यां बढ़ी हुई दिखी। त्यागी ने कहा था कि अरुणाचल में भाजपा ने जो किया वो अमित्रतापूर्ण व्यवहार है। इस बयान पर भाजपा प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल ने पलटवार करते हुए कहा कि जदयू को अपने विधायकों को कंट्रोल में रखना चाहिए, वे हम पर बेवजह दोष मढ़ रहे हैं।
पश्चिम बंगाल चुनाव पर भी चर्चा
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले पश्चिम बंगाल के प्रभारी गुलाम रसूल बलियावी बंगाल चुनाव को लेकर चर्चा करते दिखे। बलियावी के साथ पश्चिम बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कुमार दास नजर आए। बंगाल चुनाव को भी जदयू काफी अहम मान कर चल रही है।
कौन हैं आरसीपी सिंह
आरसीपी सिंह का पूरा नाम रामचंद्र प्रसाद सिंह है। वे बिहार से जदयू कोटे से राज्यसभा सांसद हैं। सीएम नीतीश के गृह जिले नालंदा के मुस्तफापुर से तालुक्कात रखने वाले आरसीपी सिंह पहले यूपी कैडर में आईएएस अफसर थे और नीतीश सरकार में प्रधान सचिव रह चुके हैं। उसके बाद वे नीतीश कुमार के कहने पर सियासत में आए और अब राज्यसभा में सांसद हैं। 62 वर्षीय आरसीपी सिंह अवधिया कुर्मी जाति से आते हैं। सिविल सर्विस के दौरान आरसीपी सिंह यूपी सरकार में काफी अहम विभागों में भी काम चुके हैं। नीतीश कुमार के फैसलों में उनकी काफी भूमिका मानी जाती है। आरसीपी सिंह की दो बेटियां हैं, जिसमें एक लिपि सिंह है, जो आईपीएस अधिकारी हैं। वो सबसे ज्यादा उस वक्त चर्चा में आई थी जब वे बाढ़ की एएसपी रहते हुए मोकामा के बाहुबली विधायक अनंत सिंह को घर से एके-47 बरामदगी मामले में सरेंडर करने को मजबूर कर दिया था। उसके बाद वे तब चर्चा में आयी जब बिहार चुनाव के दौरान मुंगेर की एसपी रहते वहां मूर्ति विसर्जन के दौरान पुलिस द्वारा गोली चलाए जाने के कारण एक युवक की मौत हो गई थी, जिस पर काफी बवाल हुआ था। उसके बाद चुनाव आयोग ने उन्हें वहां से हटा दिया था।

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