चुनाव से पहले सरकार ने जारी की मनरेगा मे मजदूरी की नई दरें, 1 अप्रैल से होगा लागू

  • अब मजदूरों को मिलेगी काम की अधिक मजदूरी, गोवा में सबसे अधिक व यूपी में सबसे कम मजदूरी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गुरुवार को मनरेगा के तहत मजदूरी बढ़ाने का ऐलान किया है। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत अकुशल शारीरिक श्रमिकों के लिए नई मजदूरी दरों को जारी किया है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत काम करने वाले मजदूरों को अब पहले के मुकाबले प्रतिदिन के हिसाब से ज्यादा मजदूरी मिलेगी। सरकार ने मनरेगा मजदूरी दर में 3 से 10 फीसदी तक का इजाफा कर दिया है। पूरे भारत में औसत मनरेगा मजदूरी बढ़ोतरी 28 रुपये प्रति दिन है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए औसत वेतन 289 रुपये होगा जबकि वित्त वर्ष 23-24 के लिए 261 रुपये है। इसके तहत गोवा में सबसे ज्यादा मजदूरी बढ़ाई गई है। गोवा में वर्तमान मजदूरी दर पर 10.56% की अधिकतम वृद्धि देखी गई। वहीं सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में सबसे कम 3.04% की वृद्धि दर्ज की गई। इसके अलावा उत्तराखंड में भी 3.04% की वृद्धि की गई है। मनरेगा की नई मजदूरी दरें 1 अप्रैल, 2024 से प्रभावी होंगी। अधिसूचना के अनुसार, मनरेगा मजदूरी की उच्चतम दर (374 रुपये प्रति दिन) हरियाणा के लिए तय की गई है, जबकि सबसे कम (234 रुपये प्रति दिन) अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड के लिए तय की गई है। चालू वर्ष (वित्त वर्ष 2023-2024) में राज्य-वार वृद्धि की बात करें तो गोवा में 10.56% (34 रुपये) की अधिकतम वृद्धि देखी गई है। इससे वित्त वर्ष 2024-2025 के लिए गोवा में मजदूरी 356 रुपये प्रति दिन हो गई है। वर्तमान में ये 322 रुपये प्रतिदिन है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना वे अन्य तीन अन्य राज्य हैं जहां मजदूरी में 10% से अधिक की बढ़ोतरी देखी गई है। कर्नाटक में, नई मनरेगा मजदूरी दर 349 रुपये प्रति दिन होगी, जो मौजूदा दर 316 रुपये प्रति दिन से 10.44% अधिक है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए, मनरेगा मजदूरी दरें 2024-2025 के लिए 300 रुपये प्रति दिन तय की गई हैं, जो चालू वित्तीय वर्ष के दौरान 272 रुपये प्रति दिन की तुलना में 10.29% अधिक है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए मनरेगा के तहत एक समान मजदूरी दर है। दोनों राज्यों में लगभग 10% की वृद्धि हुई है और अब यह मौजूदा 221 रुपये से बढ़कर 243 रुपये प्रति दिन हो जाएगी। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी मनरेगा के तहत मजदूरी दर एक समान है। इन राज्यों में मौजूदा समय में मनरेगा के तहत 230 रुपये दिहाड़ी मिलती है। लेकिन इसमें 3.04% की वृद्धि की गई और यह बढ़कर 237 रुपये प्रति दिन हो जाएगी। यह सबसे कम वृद्धि है। आठ अन्य राज्यों में 5% से नीचे की वृद्धि देखी गई है। इनमें हरियाणा, असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, राजस्थान, केरल और लक्षद्वीप शामिल हैं। कुल मिलाकर, वेतन में लगभग 7% की औसत वृद्धि देखी गई है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए मौजूदा औसत मजदूरी दर 267.32 रुपये प्रति दिन से बढ़कर 285.47 रुपये प्रति दिन हो गई है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर आधार जनसांख्यिकी सत्यापन स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, एक जनवरी के आंकड़े के अनुसार, मनरेगा के तहत लगभग 14.28 करोड़ सक्रिय श्रमिक हैं।
चुनाव आयोग से ली थी परमिशन
मनरेगा योजना का संचालन करने वाले ग्रामीण विकास मंत्रालय ने हाल ही में संशोधित मजदूरी दरों को नोटिफाई करने के लिए चुनाव आयोग की अनुमति हासिल की थी, क्योंकि आगामी आम चुनावों के लिए देश भर में आदर्श आचार संहिता पहले से ही लागू है। मौजूदा समय में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की मजदूरी सीपीआई-एएल (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक- कृषि श्रम) में बदलाव के आधार पर तय की जाती है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में मुद्रास्फीति को दर्शाती है। केंद्र ने केंद्रीय बजट 2024-25 में मनरेगा के लिए 86,000 करोड़ रुपये अलॉट किए थे। यह चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में मनरेगा के संशोधित अनुमान के बराबर था। केंद्र की अधिसूचित मजदूरी दरों के अलावा, राज्य भी लाभार्थियों के लिए इस लेवल से अधिक मजदूरी दर प्रदान कर सकते हैं।
यूपी में सबसे कम मजदूरी
गोवा में वर्तमान में मजदूरी दर पर 10.56 प्रतिशत की अधिकतम वृद्धि देखी गई है। वहीं, सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में सबसे कम 3.04 फीसदी की वृद्धि देखी गई है। उत्तराखंड में भी 3.04 की वृद्धि की गई है। मनरेगा की नई मजदूरी दरें 1 अप्रैल, 2024 से प्रभावी होंगी।
संसद में दिए गए थे मजदूरी बढ़ाने के संकेत
इस साल संसद में पेश किए गए एक रिपोर्ट में ग्रामीण विकास और पंचायती राज पर संसदीय स्थायी समिति ने राज्यों में मनरेगा मजदूरी दरों के कम-ज्यादा होने की जानकारी दी थी। समिति का कहना था कि अभी जो मजदूरी दी जा रही है, वो पर्याप्त नहीं है। अगर वर्तमान में रहने-खाने के खर्च को देखें तो इसके लिए मजदूरी दर काफी नहीं है। संसदीय स्थायी समिति ने न्यूनतम मजदूरी पर केंद्र सरकार की समिति ‘अनूप सतपथी कमिटी’ की रिपोर्ट का भी हवाला दिया था। इसमें सिफारिश की गई थी कि मनरेगा कार्यक्रम के तहत मजदूरी 375 रुपये प्रतिदिन होनी चाहिए। इससे लगने लगा था कि सरकार मजदूरी में बढ़ोतरी करने वाली है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के जरिए मनरेगा कार्यक्रम की शुरुआत 2005 में की गई। इसकी गिनती दुनिया के सबसे बड़े रोजगार गारंटी योजनाओं में से एक के तौर पर होती है। इस योजना के तहत सरकार ने एक न्यूनतम वेतन तय किया हुआ है, जिस पर ग्रामीण इलाकों के लोगों को काम पर रखा जाता है। मनरेगा के तहत करवाए जाने वाले काम अकुशल होते हैं, जिसमें गड्ढे खोदने से लेकर नाली बनाने जैसे काम शामिल हैं। योजना के तहत एक साल में 100 दिनों के रोजगार की कानूनी गारंटी मिलती है।

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