जहानाबाद में बच्चे की मौत के बाद सदर अस्पताल में परिजनों का हंगामा, तोड़फोड़ के कारण मची अफरातफरी

जहानाबाद। बिहार के जहानाबाद में तालाब में डूबे बच्चे को अस्पताल में डॉक्टर द्वारा मृत घोषित करने पर परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा। सदर अस्पताल में शुक्रवार की सुबह हंगामा व तोड़फोड़ के कारण घंटों अफरातफरी की स्थिति बनी रही। लेकिन अस्पताल में मौजूद गार्ड व पुलिस कही नजर नहीं आए। हंगामे को देखते हुए जान बचाकर इमरजेंसी व ओपीडी में तैनात कर्मी व एनएनएम भाग खड़े हुए। उपद्रवियों के डर से इमरजेंसी नर्सिंग रूम के कर्मी दरबाजा बंद कर लिया। सुबह करीब साढ़े आठ बजे से बवाल शुरू हुआ जो करीब दस बजे तक चला। बीच-बीच में कुछ देर के लिए हंगामा कर रहे लोग चले जाते और पुन: आ धमकते। इस तरह से अस्पताल में तीन बार तोड़फोड़ की घटना हुई। इसके बाद भी इसपर अंकुश नहीं लगाया जा सका। इस दौरान हंगामा कर रहे लोगों से बचने के लिए स्वास्थ्य कर्मी और भर्ती मरीज के अटेंडेंट भी भागते नजर आए। कुछ एएनएम तो अपना ड्रेस उतार दिया ताकि उपद्रव कर रहे लोगों से बचा जा सके।

जानिए क्या हैं पूरी घटना

जानकारी के अनुसार, जिलें के महमदपुर तालाब में डूबने से एक बच्चे की मौत हो गयी थी। जिसे लेकर परिजनों ने सदर अस्पताल के इमरजेंसी में पहुंचे थे। वहां मौजूद चिकित्सक ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिजन रोते हुए बच्चे को निजी क्लीनिक में लेते गए। परिजनों ने बताया कि निजी क्लीनिक के डाक्टर ने बच्चे को ऑक्सीजन लगाने की बात कह कर फिर से सदर अस्पताल भेज दिया। दोबारा अस्पताल में पहुंचे परिजनों ने ऑक्सीजन नहीं लगाने का आरोप लगाते हुए हंगामा व तोड़फोड़ शुरू कर दिया। उसके बाद आक्रोशित परिजनों ने ऑन ड्यूटी तैनात चिकित्सक व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए घटना का अंजाम दिया। ऑनड्यूटी चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों के साथ अभद्र व्यवहार करते हुए गंदी-गंदी गालियां भी दी। कर्मियों के मुताबिक अस्पताल परिसर में रखी कुर्सी को उठा स्वास्थ्य कर्मियों को मारने का प्रयास किया गया। नर्सिंग रूम एवं चिकित्सक कक्ष में जमकर तोड़फोड़ की गई।

हंगामे के कारण तीन घंटे तक इमरजेंसी सेवा बाधित

परिजनों के आक्रोश को देखते हुए चिकित्सक एवं कर्मी अस्पताल छोड़कर भाग खड़े हुए। करीब 3 घंटे तक सदर अस्पताल की इमरजेंसी सेवा बाधित रही। कुछ देर तक ओपीडी भी बाधित रहा। मृतक के परिजनों के द्वारा कुछ देर के अंतराल पर पुलिस की उपस्थिति में तीन बार हंगामा किया गया। वही सदर अस्पताल परिसर में रहने के बाद भी सदर अस्पताल के अधीक्षक अस्पताल नहीं पहुंचे। और ना ही उनके द्वारा नियुक्त किए गए कार्यकारी अधीक्षक हंगामे के वक्त मौजूद रहे। हंगामे की सूचना पाकर नगर थाना के अपर थानाध्यक्ष राजेश कुमार ने मृतक के परिजनों को शांत कराया। तक़रीबन तीन घंटे के बाद सदर अस्पताल की इमरजेंसी सेवा प्रारंभ हुई। इस दौरान कई मरीजों को निजी अस्पताल का रुख करना पड़ा।

About Post Author

You may have missed