PATNA : अफसरशाही पर कितना बदल गया तेजस्वी यादव का स्टैंड, एडीएम केके सिंह तथा IAS हरजोत कौर प्रकरण पोलिटिकल इमेज पर

पटना। नीतीश सरकार में उपमुख्यमंत्री बनने के पूर्वज जब नेता प्रतिपक्ष के रूप में तेजस्वी यादव 2017 से लेकर 2022 तक विपक्ष की कमान संभाल रहे थे। तब बार-बार वे अफसरशाही को लेकर नीतीश सरकार पर प्रहार करते थे। अब तेजस्वी यादव बिहार सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं। बावजूद इसके बिहार में अफसरशाही को लेकर स्थिति जस की तस है। मगर अब अफसरशाही को लेकर तेजस्वी यादव का स्टैंड पहले की तरह नहीं है। तेजस्वी यादव के द्वारा कारवाई करने की बात कहे जाने के उपरांत भी पटना के लाठी बाजे एडीएम के के सिंह पर सिर्फ स्थानांतरण की कारवाई की गई। वही इधर सेनेटरी नैपकिन को लेकर एक छात्रा के द्वारा पूछे गए सवाल पर IAS अधिकारी हरजोत कौर बामरा के द्वारा दिए गए आपत्तिजनक बयान के बाद भी तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे पर जागरूकता को लेकर ट्वीट तो किया। लेकिन अमर्यादित जवाब देने वाली IAS अधिकारी पर कारवाई को लेकर चुप्पी साध ली।

वही बता दे की नेता प्रतिपक्ष के रूप में तेजस्वी यादव लगातार सरकार पर अफसरशाही को संरक्षण देने का आरोप लगाते रहे हैं। लेकिन अब सत्ता में आने के उपरांत अफसरशाही को लेकर पहले जो वादे तेजस्वी यादव करते थे। उसे शायद अब भूलने लगे हैं। पिछले वर्ष 29 अगस्त को बतौर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया था। जिसमें उन्होंने साफ लिखा था कि प्रदेश में अफसरशाही चरम पर है। जनप्रतिनिधियों को अफसर अपमानित करते हैं तथा आम जनता को तो पांव का धूल भी नहीं समझते हैं। पर सरकार तथा मंत्रियों को इस से क्या। उन्हें तो बस बंदरबांट में अपने हिस्से से मतलब है। यह ट्वीट पिछले 29 अगस्त का है। इसके बाद भी इस वर्ष मार्च तथा अप्रैल में भी तेजस्वी यादव के अफसरशाही को लेकर ट्वीट देखे गए हैं। अब तेजस्वी यादव सरकार में स्वयं में मजबूत उपमुख्यमंत्री है। ऐसे में तेजस्वी यादव के चाहने वालों को उम्मीद थी। कि तेजस्वी यादव बिहार में लालफीताशाही के लिए कुख्यात हो चुकी अफसरशाही पर लगाम लगाएंगे। मगर अभी-अभी दो मौकों पर तेजस्वी यादव चूक गए। पटना में जिस एडीएम के के सिंह पर बेरोजगार छात्रों को लाठी से पीटने तथा तिरंगा पर भी प्रहार करने का आरोप था। उन पर भी कठोर कारवाई के नाम पर स्थानांतरण की कारवाई की गई। जबकि लाठियों से घायल छात्र तथा अफसरशाही से तबाह बिहार की जनता को उम्मीद थी कि तेजस्वी यादव इस बार उक्त एडीएम पर कड़ी कारवाई कर एक नजीर पेश करेंगे। मगर ऐसा नहीं हुआ। वही इधर छात्रा को अमर्यादित जवाब देने वाली वरिष्ठ IAS अधिकारी हरजीत कौर ने भी सफाई दे दी है। मगर हरजीत कौर के बयान के बाद सीएम नीतीश कुमार ने तो कहा कि पूरे मामले को ठीक से देख रहे हैं।

वही जांच के बाद कारवाई की बात भी सीएम नीतीश कुमार ने स्वीकारी। मगर इस मामले में तेजस्वी यादव प्रासंगिक IAS अधिकारी पर कारवाई की बात को लेकर किसी प्रकार की टिप्पणी से बचते रहे। जबकि दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने अपने ट्वीट के माध्यम से तेजस्वी यादव से उक्त अधिकारी पर कठोर कारवाई करने की अपील की थी। स्वाति मालीवाल ने सीएम नीतीश कुमार के बजाय डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को कार्यवाही करने की अपील की थी। क्योंकि वह भली-भाँति जानती हैं कि  बिहार के अफसरशाही को सीएम नीतीश कुमार का वरदहस्त प्राप्त है। इसलिए उन्हें बस तेजस्वी यादव से ही कारवाई की उम्मीद थी। बिहार में भी सोशल मीडिया में तेजस्वी यादव के कई समर्थकों ने इस मुद्दे पर कड़ी कारवाई की मांग की थी। उन्हें डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से कड़े फैसलों की उम्मीद है। मगर प्रदेश में व्याप्त जिस अफसरशाही को लेकर पिछले 5 वर्षों से जिस प्रकार नेता प्रतिपक्ष के रूप में तेजस्वी यादव गरजते रहें। अब डिप्टी सीएम बनने के बाद शायद उनका दृष्टिकोण इस प्रसंग को लेकर नए विचारों से लबरेज हो गया है। नेता प्रतिपक्ष के रूप में तेजस्वी यादव ने अफसरशाही को बड़ा मुद्दा बनाया था। ऐसे में सरकार में डिप्टी सीएम बनने के उपरांत अगर वे अफसरशाही को लेकर कठोर रवैया नहीं अपनाते हैं। तो आने वाले भविष्य में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के पॉलिटिकल इमेज पर इसका इफेक्ट जरूर देखने को मिलेगा।

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