भाकपा माले के कई विधायकों ने फुलवारी शरीफ में देश विरोधी कार्यो में गिरफ्तार किए गए संदिग्ध आरोपितों के परिवार वाले से की मुलाकात

फुलवारीशरीफ। पटना के फुलवारीशरीफ में इन दिनों देश विरोधी गतिविधि चलाए जाने के मामले में गिरफ्तार चारों आरोपितों के घर परिजनों से मिलने भाकपा माले और इंसाफ मंच के नेताओं की टीम पहुंची। भाकपा माले और इंसाफ मंच की टीम इमारत शरिया भी गई और धार्मिक नेताओं से मुलाकात की। माले की जांच टीम घूम घूम कर इस पूरे घटनाक्रम में गिरफ्तार किए गए सभी चारों आरोपितों के घर जाकर परिजनों से उनका हालचाल लिया और सच्चाई जानने का प्रयास किया। इस दौरान नेताओं ने पीड़ित परिवारों को न्याय का भरोसा दिलाया है। नेताओं ने पीड़ित परिवार के लोगों को कहा है कि उनकी लड़ाई सड़क से लेकर सदन तक लड़ेंगे। इतना ही नहीं पुलिस के आला अधिकारी से मुलाकात करेंगे और जरूरत पड़ी तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी पार्टी के नेता मुलाकात कर पूरी स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह करेंगे। जांच टीम में भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य का अमर, भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, फुलवारी से पार्टी विधायक गोपाल रविदास, पालीगंज से पार्टी विधायक संदीप सौरभ, एआइपीएफ के गालिब व अनिल अंशुमन; भाकपा-माले के मीडिया प्रभारी कुमार परवेज, इंसाफ मंच के राज्य अध्यक्ष सूरज कुमार सिंह, राज्य सचिव कयामुद्दीन अंसारी, आफताब आलम, फहद जमां, असलम रहमानी, आफ्शा जबीं, नसरीन बानो तथा स्थानीय पार्टी नेता गुरूदेव दास, साधु प्रसाद सहित कई स्थानीय लोग शामिल थे। जांच टीम ने अपनी जांच के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यह पूरा मामला भाजपा के मिशन 2024 का हिस्सा है, जिसमें वह मुस्लिम समुदाय को एक बार फिर से टारगेट पर ले ला रही है और इसके जरिए देश में हिंदू-मुसलमान का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही है। दुर्भाग्यूपर्ण यह है कि पूरा प्रशासनिक तंत्र आज भाजपा के इशारे पर काम कर रही है। जांच टीम ने इस मसले पर नीतीश कुमार की अबतक की चुपी की कड़ी आलोचना की। कहा कि वे मुसलमानों के रहनुमा होने का दावा करते हैं, लेकिन जब एक-दो संदिग्ध मामलों को लेकर पूरे मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है, तब उन्होंने एक शब्द बोलना उचित नहीं समझा।

जांच टीम को गिरफ्तार चार आरोपितों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला। जिस प्रशासन ने उन्हें गिरफ्तार किया है, वे भी कोई ठोस सबूत उपलब्ध नहीं करवा सके, लेकिन मामले को ऐसा बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जा रहा है, मानो फुलवारीशरीफ आतंकवाद का केंद्र हो। प्रशासन की इस तरह की गैरजिम्मेवाराना व अंधेरे में रखने वाली कार्रवाइयों ने मुस्लिम समुदाय को दहशत के सए में जीने को मजबूर कर दिया है। इसके खिलाफ भाकपा-माले, एआइपीएफ व इंसाफ मंच 21-23 जुलाई को पूरे राज्य में नागरिक प्रतिवाद का ऐलान करते हं।

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