बिहार की जातीय जनगणना पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, मुख्य न्यायाधीश ने नई बेंच का किया गठन

नई दिल्ली/पटना। बिहार में जातीय जनगणना होगी या नहीं, इसको लेकर पिछले कुछ दिनों से सस्पेंस बना हुआ है, क्योंकि पटना उच्च न्यायालय ने इस पर अंतरिम रोक लगा रखी है। इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद अदालत ने 17 मई की तारीख तय की थी लेकिन जस्टिस संजय करोल ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था। जिस वजह से आज सुनवाई होगी। अब इसके लिए दो सदस्यीय नई बेंच का गठन कर दिया गया है। बिहार सरकार की याचिका को उच्चतम न्यायालय की संबंधित पीठ ने प्रधान न्यायाधीश डीवी चंद्रचूड़ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था, जिससे एक उपयुक्त पीठ का गठन हो सके। अदालत ने इस पर सुनवाई के लिए दो सदस्यीय नई बेंच का गठन कर दिया है। जस्टिस अभय ओक और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अदालत आज इस मामले में सुनवाई करेगी। ऐसे में देखना होगा कि शीर्ष अदालत इस पर क्या फैसला लेती है।
जातीय जनगणना पर पटना हाइकोर्ट की रोक
जाति आधारित गणना के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के दौरान पटना हाइकोर्ट ने माना था कि राज्य सरकार के पास इसे कराने का कोई वैधानिक क्षेत्राधिकार नहीं है। अदालन ने इसे लोगों की निजता का उल्लंघन भी माना था। कोर्ट ने इस पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश जारी करते हुए 3 जुलाई को सुनवाई की अगली तारीख तय की थी। जिसके बाद बिहार सरकार इस पर शीघ्र सुनवाई के लिए अर्जी दी लेकिन 9 मई को कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए साफ कर दिया कि 3 जुलाई को ही सुनवाई होगी। इसी के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

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