चुनावी हलफनामें में गलत जानकारी देना भ्रष्ट आचरण-सुप्रीम कोर्ट

अमृतवर्षाः अक्सर चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी दिये जाने की बात सामने आती है। इसको लेकर खूब विवाद भी होते रहे हैं। अक्सर कई बार चुनावी हलफनामे मेें या तो गलत जानकारी दे दी जाती है या फिर जानकारी छूपा ली जाती है। चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी दिये जाने को सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्ट आचरण माना है। लेकिन इस संबंध में संसद को कानून बनाने का निर्देश देने से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि हमारे अधिकारों की भी एक सीमा है।न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने कहा कि चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देना भ्रष्ट आचरण है या नहीं, यह सिद्धांत की बात है। यह संसद का काम है कि वह कानून बनाकर इसे भ्रष्ट आचरण करार दे। हम विधायिका को कानून बनाने का निर्देश नहीं दे सकते। पीठ दरअसल भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें गुहार की गई थी कि चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने को ‘भ्रष्ट आचरण’ करार दिया जाए।याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राणा मुखर्जी ने पीठ से कहा कि चुनावी हलफनामे में उम्मीदवारों द्वारा गलत जानकारी दी जाती है, जिससे चुनाव की पवित्रता कम होती है। फिलहाल ऐसा करना जन प्रतिनिधि अधिनियम की धारा-125ए के तहत आता है। ऐसा करना अयोग्यता का आधार होता है और इसमें अधिकतम छह महीने की सजा का प्रावधान है। मुखर्जी ने कहा कि जरूरत इस बात है कि चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने को ‘भ्रष्ट आचरण’(धारा-123) में शामिल किया जाए। इसके तहत छह वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। इस पर पीठ ने कहा कि आप चाहते हैं कि हम संसद को इस संबंध में कानून बनाने का निर्देश दें, लेकिन हम आखिर ऐसा कैसे सकते है?

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