न्यायालय का ठोस निर्णय:-पटना में बिल्डर की संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया आरंभ

>>22 करोड़ के मुआवज़े की लड़ाई में मिली बड़ी न्यायिक सफलता

 

पटना, 19 जून 2025 – पटना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्रीमान संजय करोल द्वारा नियुक्त आर्बिट्रेटर पूर्व न्यायाधीश श्री वी.एन. सिन्हा के सुनाए गए आदेशों का उल्लंघन करने वाले बिल्डर रुक्मणी बिल्डटेक लिमिटेड के खिलाफ पटना न्यायालय ने कड़ा और निर्णायक कदम उठाया है।

यह मामला पटना जिले के संपतचक प्रखंड के एकतापुरम (भोगीपुर) में निर्माणाधीन छत्रपति शिवाजी ग्रीन्स अपार्टमेंट परियोजना से जुड़ा है, जहां भूमि स्वामी नागेश्वर सिंह स्वराज के साथ डेवलपमेंट एग्रीमेंट की शर्तों का उल्लंघन हुआ। बिल्डर ने न केवल समय सीमा और गुणवत्ता मानकों का पालन नहीं किया, बल्कि न्यायालय द्वारा निर्धारित 22 करोड़ 54 लाख 59 हजार 110 रुपये के मुआवज़े का भुगतान भी विलंबित रखा।

न्यायालय की सख्ती

आर्बिट्रेटर ने 29 माह की सुनवाई के बाद 11 दिसंबर 2022 को अपना फैसला दिया, जिसमें बिल्डर को मुआवज़ा के साथ 18% वार्षिक जुर्माना भी भुगतने का आदेश था। *इसके साथ ही बिल्डर द्वारा बिना जमीन मालिक की सहमति के की गई रजिस्ट्री को अवैध करार दिया गया।*

बिल्डर के आदेशों की लगातार अवहेलना के कारण पटना न्यायालय ने सभी चल-अचल संपत्तियों को जब्त करने की विधिसम्मत प्रक्रिया शुरू करने का आदेश जारी किया है। निदेशकगण *अजीत आजाद, राजीव ठाकुर* एवं अन्य को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है, ताकि वे अपनी बात रख सकें। यदि न्यायालय की अवधि में संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया, तो संपत्ति जब्ती की कार्यवाही लागू की जाएगी।

गिरफ्तारी और कार्रवाई

इस मामले में पहले भी सख्त कार्रवाई की गई थी। मधुबनी एसपी के निर्देश पर बिल्डर के निदेशक राजीव ठाकुर को भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार कर पटना जेल भेजा गया था।

पीड़ित की आवाज़

पीड़ित भूमि स्वामी नागेश्वर सिंह ने कहा, “हमने वर्षों संघर्ष किया, अपमान सहा और न्याय की उम्मीद नहीं छोड़ी। आज कोर्ट ने हमारा विश्वास फिर से जिंदा कर दिया है। यह फैसला हमारे जैसे सभी किसानों और ज़मीन मालिकों के लिए एक प्रेरणा है।”

उनके अधिवक्ता सत्यप्रकाश नारायण ने बताया कि यह मामला न्याय प्रणाली की मजबूती, आर्बिट्रेशन प्रक्रिया की सफलता, और कानून के सम्मान का प्रतीक है। यह एक मिसाल है कि किसी भी समझौते का उल्लंघन न्याय के दायरे से बाहर नहीं रह सकता।

सामाजिक एवं कानूनी महत्व

यह निर्णय न केवल व्यक्तिगत स्तर पर न्याय का प्रमाण है, बल्कि पूरे क्षेत्र के किसानों, ज़मीन मालिकों और आम नागरिकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश है कि अन्याय के खिलाफ लड़ाई में धैर्य और कानूनी उपाय ज़रूरी हैं।पटना न्यायालय का यह आदेश एक स्पष्ट चेतावनी है कि भ्रष्टाचार, अनुबंध उल्लंघन और न्याय की अवहेलना अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। न्यायपालिका की सख्ती से ऐसे बिल्डरों को समझना होगा कि कानून के ऊपर कोई नहीं।

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