November 16, 2025

सरकारी भर्तियों में डोमिसाइल लागू करने को लेकर पटना में छात्रों का प्रदर्शन, मुख्यमंत्री आवास घेरने निकले, जमकर की नारेबाजी

पटना। पटना में बुधवार को विभिन्न जिलों से आए छात्र-छात्राओं ने सरकारी भर्तियों में डोमिसाइल नीति लागू करने और नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी छात्रों ने गांधी चौक, मुसल्लहपुर हाट, भिखना पहाड़ी, मछुआ टोली, हथुआ मार्केट होते हुए गांधी मैदान और जेपी गोलंबर से डाक बंगला चौराहा तक रैली निकाली और मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच करने की कोशिश की। इस दौरान मौसम ने भी साथ नहीं दिया और हल्की बारिश शुरू हो गई, लेकिन इसके बावजूद छात्र अपनी मांगों को लेकर अडिग रहे।
प्रशासन की सख्ती और पुलिस बल की तैनाती
प्रदर्शन को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह सतर्क था और भारी मात्रा में पुलिस बल की तैनाती की गई थी। छात्रों और पुलिस के बीच हल्की झड़प भी देखने को मिली, लेकिन स्थिति नियंत्रण में रही। छात्रों की संख्या और आंदोलन की तीव्रता को देखते हुए यातायात भी कुछ समय के लिए प्रभावित हुआ।
सरकारी भर्तियों में डोमिसाइल नीति
प्रदर्शनकारी छात्रों का प्रमुख मांग यह थी कि बिहार की सभी सरकारी भर्तियों में डोमिसाइल यानी स्थानीय निवास प्रमाणपत्र की अनिवार्यता लागू की जाए। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि प्राथमिक शिक्षक भर्ती में 100 प्रतिशत डोमिसाइल नीति लागू होनी चाहिए क्योंकि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होने से बच्चों का मानसिक और शैक्षणिक विकास बेहतर होता है। इसके अतिरिक्त माध्यमिक, उच्च माध्यमिक शिक्षक, पुलिस, दारोगा, सिपाही, लाइब्रेरियन, बीपीएससी समेत सभी सरकारी नौकरियों में 90 प्रतिशत डोमिसाइल का प्रावधान करने की मांग की गई।
रोजगार के अवसर और सामाजिक सुरक्षा
प्रदर्शन कर रहे युवाओं का कहना है कि जब बिहार के नौजवान बड़ी संख्या में बेरोजगारी से जूझ रहे हैं, तब बाहरी राज्यों के उम्मीदवारों को प्राथमिकता देना न्यायसंगत नहीं है। डोमिसाइल नीति लागू करने से राज्य के युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिलेंगे और बिहार की सामाजिक व आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। उनका मानना है कि यह नीति उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेगी।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और घोषणाएं
बिहार सरकार की ओर से इस दिशा में कुछ सकारात्मक संकेत मिले हैं। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने 19 जून को सोशल मीडिया पर लिखा था कि बिहार में जल्द ही 15,000 शिक्षकों की भर्ती की जाएगी और इसमें डोमिसाइल नीति को लागू किया जाएगा। यह घोषणा छात्रों के लिए एक बड़ी उम्मीद लेकर आई है। दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनता दल ने आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए यह वादा किया है कि यदि उनकी सरकार बनती है तो वे 100 प्रतिशत डोमिसाइल नीति लागू करेंगे।
विपक्ष की चिंता और विवाद
हालांकि डोमिसाइल नीति को लेकर विरोध भी है। कुछ विपक्षी नेताओं और विशेषज्ञों का मानना है कि इस नीति से योग्य बाहरी उम्मीदवारों के अवसर सीमित हो जाएंगे, जिससे प्रतिस्पर्धा प्रभावित हो सकती है। लेकिन छात्र संगठनों का कहना है कि पहले बिहार के युवाओं को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, क्योंकि यह उनकी प्राथमिक आवश्यकता और अधिकार दोनों है।
डोमिसाइल मुद्दा बना चुनावी केंद्रबिंदु
डोमिसाइल नीति बिहार की राजनीति में कोई नया मुद्दा नहीं है, लेकिन हाल के वर्षों में बढ़ते पलायन और बेरोजगारी ने इसे और प्रासंगिक बना दिया है। छात्रों का यह आंदोलन केवल एक मांग नहीं बल्कि एक सामाजिक-राजनीतिक चेतना का संकेत है, जो आने वाले विधानसभा चुनावों में भी निर्णायक भूमिका निभा सकता है। यदि सरकार समय रहते इस मुद्दे पर स्पष्ट और ठोस नीति नहीं लाती, तो युवाओं का आक्रोश राजनीतिक असंतोष में बदल सकता है।

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