भारतरत्न कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती पर राजकीय समारोह आयोजित, सीएम नीतीश ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि

पटना। भारतरत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती के अवसर पर बिहार विधान मंडल परिसर में बुधवार को आयोजित राजकीय समारोह में राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनकी आदमकद प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, वित्त, वाणिज्य कर एवं संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेशी सिंह, परिवहन मंत्री शीला कुमारी, सूचना प्रावैधिकी मंत्री मो. इसराईल मंसूरी, बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी, बिहार विधान परषद् के उपसभापति रामचन्द्र पूर्वे, विधान पार्षद श्रीमती कुमुद वर्मा, पूर्व मंत्री श्याम रजक, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त परामर्शी मनीष कुमार वर्मा सहित अन्य जनप्रतिनिधियों एवं गणमान्य व्यक्तियों ने भी भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की आदमकद प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
राजकीय समारोह आयोजित राज्यपाल और सीएम ने किया पुस्तक का विमोचन
इस अवसर पर बिहार के उन विभूतियों जिनका राजकीय समारोह आयोजित किया जाता है, उस पर आधारित एक पुस्तक का विमोचन राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने किया। इस अवसर पर बिहार गीत, सूचना एवं जन-संपर्क विभाग के कलाकारों द्वारा आरती पूजन एवं जननायक के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित गीतों का गायन किया गया।
कर्पूरी ठाकुर स्मृति संग्रहालय में भी आयोजित हुआ विभाग का कार्यक्रम
इसके पश्चात् देशरत्न मार्ग स्थित जननायक कर्पूरी ठाकुर स्मृति संग्रहालय में कला संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी, उर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव, वित्त, वाणिज्य कर एवं संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी, कला संस्कति एवं युवा विभाग के मंत्री जितेन्द्र कुमार राय, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेशी सिंह, परिवहन मंत्री श्रीमती शीला कुमारी, विधि मंत्री शमीम अहमद, बिहार विधान परिषद् के उप सभापति रामचन्द्र पूर्वे, विधान पार्षद श्रीमती कुमुद वर्मा, पूर्व मंत्री श्याम रजक सहित अन्य जनप्रतिनिधियों एवं गणमान्य व्यक्तियों ने भी भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त परामर्शी मनीष कुमार वर्मा, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की अपर मुख्य सचिव हरजोत कोर, पटना प्रमंडल के आयुक्त कुमार रवि, पटना के जिलाधिकारी चन्द्रशेखर सिंह, वरीय पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा, जननायक कर्पूरी ठाकुर के परिजन सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ता एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इस अवसर पर भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर की जीवनी पर आधारित एक लघु फिल्म ‘कर्पूरी ठाकुर गरीबों का मसीहा प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम के दौरान भजन कीर्तन का भी आयोजन किया गया।
केंद्र ने मंगलवार को की थी भारत रत्न देने की घोषणा
बता दे की इसके पहले केंद्र सरकार ने मंगलवार को बिहार के पू्र्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) देने की घोषणा की। केंद्र सरकार ने आखिरी बार 2019 में भूपेन हजारिका को भारत रत्न से नवाजा था, जिसके बाद अब ये उपाधि कर्पूरी ठाकुर को दी जाएगी। जननायक कर्पूरी ठाकुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री थे। उन्हें पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत करने के लिए पहचान मिली हुई थी, जिन्हें अब मोदी सरकार ने भारत का सबसे बड़ा पुरस्कार भारत रत्न देने का एलान किया। कर्पूरी ठाकुर बिहार के पहले गैर कांग्रेस मुख्यमंत्री रहे हैं। ठाकुर दिसंबर 1970 से जून 1971 तक मुख्यमंत्री रहे थे। इसके बाद वह जून 1977 से अप्रैल 1979 तक दोबारा सीएम बने। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने नौकरियों में मुंगेरीलाल कमीशन लागू कर गरीबों और पिछड़ों को आरक्षण दिया।
1954 में हुई थी भारत रत्न देने की शुरुआत
भारत रत्न देने की शुरुआत साल 1954 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने की थी। यह अवार्ड भारतीय नागरिकों के साथ-साथ दो विदेशी नागरिकों को भी मिल चुका है। पहली बार साल 1954 में पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉक्टर राधाकृष्णन, डॉक्टर चंद्रशेखर वेंकट रमन,और स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। इसके बाद साल 1955 में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया, और डॉ। भगवान दास को भारत रत्न से नवाजा गया। 1956 में किसी को भी भारत रत्न से सम्मीनित नहीं किया गया, जबकि 1957 में गोविंद वल्लभ पंत और 1958 में डॉ धोंडो केशव कर्वे भारत रत्न दिया गया। इसके बाद 1961 डॉ। बिधन चंद्र रॉय और पुरूषोत्तम दास टंडन को यह पुरस्कार मिला। 1962 डॉ। राजेंद्र प्रसाद भारत रत्न से सम्मानित किया गया। साल 1963 में डॉ जाकिर हुसैन और डॉ। पांडुरंग वामन काणे को भारत रत्न से नवाजा गया, जबकि यह पुरस्कार 1966 लाल बहादुर शास्त्री मरणोपरांत को मिला। इसके बाद 1971 इंदिरा गांधी को इससे सम्मनित किया गया। 1975 में वराहगिरी वेंकट गिरी को, 1976 में के कामराज (मरणोपरांत) , 1980 मदर टेरेसा और 1983 आचार्य विनोबा भावे मरणोपरांत यह अवार्ड दिया गया। इसके बाद 1987 में खान अब्दुल गफ्फार खान को भारत रत्न दिया गया। वह यह सम्मान पाने वाले पहले गैर-भारतीय थे।

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