चुनाव के दौरान किए वादे पूरा करने वाले प्रत्याशी को करेंगे वोट

  • कुछ ख़ास लोगों से नही आम जनता से मिलने जुलने वाला होना चाहिए सांसद

बिहटा, (मोनू कुमार मिश्रा)। लोक सभा चुनाव के सातवाँ चरण में पाटलिपुत्रा सीट का चुनाव होना है। अपने क्षेत्र का सांसद कैसा हो इसको लेकर हर चौक चौराहों ,चाय दुकान ,कपड़ा दुकान,सैलून,ढाबा एवं गाँव के पीपल पेड़ के छांव में तास की पतियों के साथ लोग चुनाव पर पर चर्चा करते नज़र आ रहे हैं। सोमवार को सामाजिक लोगों के द्वारा बिहटा में चुनाव चौपाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें बिहटा प्रखंड के कई गाँव के लोगों ने भाग लिया।वही लोगों ने पाटलिपुत्रा लोक सभा सीट से अबकी बार ऐसा सांसद चुनने की बात कही है जो चुनाव के दौरान किए वादे को पूरा करेगा। लोगों का कहना है कि हर बार प्रत्याशी वोट मांगने के लिए गाँव गाँव गली घूम आम लोगों से हाथ जोड़े वोट माँगते फिरते हैं। लेकिन चुनाव जीतने के बाद उनका सम्बंध केवल कुछ ख़ास लोगों से रह जाता है।चुनाव के बाद आम जनता को उनसे मिलने को भी काफ़ी जहोजहद करनी परती है। इसको लेकर लोगों में अभी से ही चर्चा शुरू हो गई है।लोग इस बार ऐसा सांसद क्षेत्र के लिए तलाश रहे हैं जो चुनाव के दौरान किए गए वादों को पूरा करे और समय समय पर जनता के बीच आकर उनकी समस्याएं जाने और उनका समाधान करे। वही उनलोंगो ने कहा कि वह सभी मतदाताओं को जागरूक करेंगे की वह इस बार घर से निकलें और अपने मताधिकार का प्रयोग कर एक अच्छे ग़रीबों व आम जनता के सुख दुःख में साथ देने वाला जनप्रतिनिधि का चुनाव करें।
ब्रज किशोर पाण्डेय : ब्रज किशोर पाण्डेय (समाज सेवी) ने कहा कि हर पांच साल में लोक सभा प्रत्याशी वोट मांगने के लिए आते हैं।जनता से तमाम तरह के वादे करके जाते हैं। चुनाव जीतने के बाद वह जनता का हाल तक नहीं जानने आते।जो भी प्रत्याशी हो, वह अपनी चुनावी वादे पूरे करें।जनता के हर सुख दुःख में मदद के लिए तत्पर रहे और आम लोग भी जिससे आसानी से मिल सके.उसकी समस्या को सुन सके व उसका निदान कर सके ऐसे प्रत्यासी को अपना मतदान करें।
शैलेंद्र कुमार : शैलेंद्र कुमार (शिक्षक) ने कहा कि सांसद का जनता से जुड़ाव जरूर होना चाहिए।वह जीतने के बाद जनता की अनदेखी बिल्कुल न करे।वह एक सांसद नहीं बल्कि लोकसेवक के तौर पर काम करे और समाजसेवा के संकल्प को पूरा करे। वह जनता के प्रति जवाबदेह और क्षेत्र के विकास कराने की क्षमता रखने वाला हो।
मनोज कुमार सिंह : मनोज कुमार सिंह आम लोगों को आमतौर पर शिकायत रहती हैं कि चुनाव जितने के बाद सांसद महोदय मिलते नहीं हैं। आम जनता को उनसे मिलने के लिए कुछ ख़ास लोगों का सहारा लेना पड़ता है। सांसद का जनता के करीब होना बहुत जरूरी है।ताकि आम जनता भी अपनी समस्या को आम तौर पर मिलकर सीधा बता सके।
रिंकु पाठक : रिंकु पाठक ने कहा कि लोग जब तक जाति-धर्म-क्षेत्रवाद और दूसरी चकाचौंध से प्रभावित होकर वोट डालेंगे. तब तक स्थिति नहीं बदल सकती है। चुनाव में लोग मोहल्ले के प्रमुख के कहने पर वोट डालते हैं।और बाद में बड़ी पार्टी से सरोकार रखने वाले कार्यकर्ताओं और नेताओं की मनमानी चलती है।आम नागरिकों को उसी सांसद से मिलने के लिए काफ़ी जहोजहद करनी पड़ती है।इसलिए लोग जब तक अच्छे प्रत्याशी का चयन करना नहीं सीखेंगें। तब तक जनप्रतिनिधि कैसे अच्छा हो सकता है। उन्होंने कहा कि लोग जब सजग नागरिक बनेंगे तभी बेहतर सांसद बनेंगे। लोग सांसद चुनने में गंभीरता नहीं दिखाते। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ नागरिक होंगे तो जनप्रतिनिधि भी बेहतर एवं महिलाओं की सुरक्षा और हक़ की बात करेगा।
सुनिता कुमारी : सुनिता कुमारी (शिक्षिका) का कहना है राजनीतिक पार्टियों ने महिलाओं के लिए तो आरक्षण देकर राजनीति में भागीदारी को सुनिश्चित किया है। लेकिन बात यदि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की करें तो चुनाव के बाद परिवार का पुरुष वर्ग कामकाज को अपने हाथ में ले लेते हैं। महिला सरपंच हो या वार्ड सदस्य या मुखिया उनकी जगह काम पुरुष सदस्य ही करते हैं और महिलाओं को पहले की ही तरह घर का कामकाज सम्हालना पड़ता है। इस रुढ़िवादी बेड़ियों से आजादी आवश्यकहै। इस लिए महिलाओं के अधिकार के लिए आवाज़ उठाने वाला सांसद को अपना मतदान करना चाहिए।

 

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