पटना में स्मार्ट प्रीपेड मीटर में बढ़ाई लोगों की परेशानी, लगातार बैलेंस कटने और गलत रीडिंग की बढ़ी शिकायतें

पटना। बिहार में पुराने परंपरागत बिजली मीटर को हटाकर नए प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं। राज्य सरकार ने लोगों को यह कहा की इससे उपभोक्ता अपने हिसाब से बिजली का उपयोग कर सकेंगे और उन्हें राहत मिलेगी। मतलब जितने रुपए की बिजली की जरुरत हो, उतना का ही रिचार्ज करवाएं। शुरूआत में यह व्यवस्था काफी अच्छी लग रही थी। लेकिन अब इस व्यवस्था की खामियां लगातार सामने आने लगी है। भले ही बिहार का स्मार्ट प्रीपेड मीटर देश में नजीर के रूप में लिया जा रहा। बाहर के राज्यों से बिजली कंपनी की टीम इस मॉडल के अध्ययन को आ रही। बिजली कंपनी का राजस्व भी बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ ही स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर लोगों की नाराजगी भी बढ़ती जा रही है। इसका एक बड़ा कारण है बेहिसाब पैसों की कटौती। इस पर लोग बताते हैं की रात को दो हजार रुपये से मीटर को रिचार्ज किया और जब सुबह बैलेंस चेक किया तो वह माइनस आठ हजार रुपये दिख रहा था। महीने के आखिरी हफ्ते में आए इस बिल को घंटे भर में जमा नहीं कर पाने की स्थिति में बिजली बंद। नोटिस भी नहीं था। खास हैं तो कुछ पता भी चलेगा और अगर आम उपभोक्ता हैं तो कुछ मालूम ही नहीं होने वाला। वही दो महीने में समस्या यह आई कि मोटी राशि से किया गया रिचार्ज भी सुबह तक शून्य हो जाता है। एक उपभोक्ता की यह शिकायत थी कि जून में जब उनकी रीडिंग माइनस 5000 पर अचानक आ गई तो उन्होंने सात हजार रुपये से रिचार्ज किया। वही स्मार्ट मीटर का संचालन कर रही कंपनी के सर्वर में गड़बड़ी आ गई थी। इस वजह से अप्रैल के पहले हफ्ते से 17 दिनों तक रीडिंग नहीं हुई। उस अवधि की राशि औसत में जोड़ उपभोक्ताओं को सूचना दिए बगैर काट ली गई। उपभोक्ता को आखिर कैसे पता चलेगा कि कंपनी का उसपर बकाया है, क्योंकि उसका बकाया रिचार्ज के समय शून्य पर आ गया था। स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिहार के बिजली उपभोक्ताओं के प्रति यूनिट दर में अचानक वृद्धि हो गई है। पहले एक सामान्य परिवार का औसतन दो से तीन सौ रुपए प्रतिदिन बिजली पर खर्च होता था। वहीं यह अब हजारों रुपए में पहुंच गया है।

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