14 अप्रैल के बाद बजेगी शहनाई, शुरू होंगे शुभ मांगलिक कार्य

पटना। हिन्दू धर्मावलंबियों के शुभ मांगलिक कार्यों पर विगत 14 मार्च से खरमास का साया लगा हुआ है, जो 14 अप्रैल को सूर्य के राशि परिवर्तन तक रहेगा। इसके बाद शुभ कार्यों, मांगलिक कार्यों पर महीने भर से लगा विराम हट जाएगा। शादी-ब्याह, जनेऊ, मुंडन, गृह प्रवेश, भूमि पूजन जैसे शुभ कार्य शुरू हो जाएगा। चैत्र शुक्ल त्रयोदशी गुरुवार को सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने के बाद खरमास समाप्त होगा।
सूर्य के मीन राशि में प्रवेश से लगा खरमास
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ आचार्य राकेश झा ने कहा कि 14 मार्च को देर रात 02:10 बजे सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने से खरमास लगा है, जो 14 अप्रैल को सुबह 10:30 बजे सूर्य के मेष राशि में गोचर के साथ समाप्त हो जाएगा। मिथिला पंचांग में भद्रा मुख के हिसाब से समय निर्धारित की जाती है जबकि बनारसी पंचांगों में भद्रा पूछ के अनुसार। सूर्य ही संक्रांति और लग्न के राजा माने जाते हैं। इनकी राशि का परिवर्तन ही खरमास का घोतक है।
सूर्य के मलिन होने से नहीं होते शुभ कार्य
खरमास के दौरान सूर्य मलिन अवस्था में रहता है। सूर्य, गुरु की राशि धनु एवं मीन राशि में प्रवेश करता है तो इससे गुरु का प्रभाव समाप्त हो जाता है। शुभ मांगलिक कार्यों के लिए गुरु का पूर्ण बली अवस्था में होना आवश्यक है, इसलिए इस एक माह की अवधि में किसी भी प्रकार के शुभ मांगलिक कार्य नहीं किये जाते। खासकर इस समय विवाह संस्कार तो बिलकुल नहीं किए जाते हैं क्योंकि विवाह के लिए सूर्य और गुरु दोनों को मजबूत होना चाहिए।
गुरु-शुक्र-रवि की शुभता है जरूरी
युवा ज्योतिषी पंडित राकेश झा ने कहा कि शास्त्रों में शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना बड़ा महत्वपूर्ण होता है। वैवाहिक बंधन को सबसे पवित्र रिश्ता माना गया है। इसलिए इसमें शुभ मुहूर्त का होना जरूरी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शादी के शुभ योग के लिए बृहस्पति, शुक्र और सूर्य का शुभ होना जरूरी है। रवि गुरु का संयोग सिद्धिदायक और शुभफलदायी होते हैं। इन तिथियों पर शादी-विवाह को बेहद शुभ माना गया है।
मिथिला पंचांग में 38 तो बनारसी में 46 लग्न मुहूर्त
पंचांगीय गणना के अनुसार मिथिला पंचांग में चातुर्मास तक कुल 35 लग्न मुहूर्त है। वहीं बनारसी पंचांग में 46 मुहूर्त है। विश्वविद्यालय पंचांग के मुताबिक अप्रैल में 8, मई में 12, जून में 11 व जुलाई में 4 मुहूर्त है। बनारस के महावीर पंचांग के अनुसार अप्रैल में 11, मई में 16, जून में 15 तथा जुलाई में 4 वैवाहिक लग्न है। इसके बाद चार महीने के लिए चातुर्मास लग जाएगा।
ऐसे तय होते है शुभ लग्न-मुहूर्त
विद्वान पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि शादी के शुभ लग्न व मुहूर्त निर्णय के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु एवं मीन लग्न में से किन्ही एक का होना जरूरी है। वहीं नक्षत्रों में से अश्विनी, रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, चित्रा, स्वाति, श्रवणा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भद्र व उत्तरा आषाढ़ में किन्ही एक जा रहना जरूरी है। अति उत्तम मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा या हस्त नक्षत्र में से किन्ही एक की उपस्थिति रहने पर शुभ मुहूर्त बनता है। उन्होंने ने बताया कि यदि वर और कन्या दोनों का जन्म ज्येष्ठ मास में हुआ हो तो उनका विवाह ज्येष्ठ में नहीं होगा। तीन ज्येष्ठ होने पर विषम योग बनता है और ये वैवाहिक लग्न में निषेद्ध है। विवाह माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ एवं अगहन मास में हो तो अत्यंत शुभ होता है।
शादी-विवाह के शुभ लग्न मुहूर्त
(मिथिला पंचाग के मुताबिक)
अप्रैल: 17,20,21,22,24,25,27,28
मई: 2,9,11,12,13,18,20,22,25,26,27,30
जून: 1,5,6,9,10,13,19,22,23,24,26
जुलाई: 3,4,6,8
बनारसी पंचाग के अनुसार
अप्रैल: 14,15,17,19,20,21,22,23,27,28,29
मई: 2,3,9,10,11,12,14,15,17,18,19,20,21,25,26,31
जून: 1,5,6,7,8,9,10,11,12,13,14,15,21,22,27
जुलाई: 3,4,5,8

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