नारी सशक्तिकरण के मामले में पूरे देश का रोल मॉडल नीतीश कुमार : राजेश तिवारी

पटना। बिहार प्रदेश जदयू के प्रदेश सचिव राजेश तिवारी ने कहा कि बालिकाओं को शिक्षित करने, सरकारी नौकरी में अवसर देने, जीविकोपार्जन के लिए जीविका को सशक्त करने जैसे अनेक नारी उत्थान कार्यक्रम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चलाकर महिलाओं में स्वाभिमान व विश्वास को जगाया है। मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना के तहत 5 लाख अनुदान व 5 लाख बिना सूद का आसान किश्तों में वापसी की व्यवस्था की है। पहले महिलाएं किसी भी आवश्यकता की पूर्ति के लिए पुरुष पर आश्रित रहती थी अब वे आर्थिक रूप से सबल होंगी और उल्टे पुरुष को महिलाओं पर आश्रित रहना पड़ सकता है। इसका पूरा श्रेय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को है। पंचायती राज व नगर निकाय में 50 फीसदी आरक्षण के रुप में बड़ी सौगात दी। महिलाओं को जिला परिषद अध्यक्ष, मेयर, मुखिया, प्रमुख समेत अन्य पदों पर आसीन होने का अवसर दिया। वही इसके अलावा नारी सशक्तिकरण के लिए कई कार्यक्रम चलाए गए। फलस्वरूप आज महिलाएं दहलीज से बाहर निकलकर समाज में अग्रणी भूमिका निभा रही है। शिक्षक बहाली, पुलिस सेवा से लेकर अन्य सरकारी सेवा में आरक्षण से आज बेटियों को पढ़ाने की होड़ शुरु हो गई है।
तिवारी ने आगे कहा बिहार में 2005 में सत्ता संभालने के बाद नीतीश कुमार ने महिलाओं को मुख्य धारा में लाने के कई निर्णय लिए। नारी सशक्तिकरण की दिशा में लिए गए इन फैसलों ने प्रदेश के शैक्षिक, आर्थिक सामाजिक व सांस्कृतिक ढांचे को भी काफी प्रभावित किया। जीविका ने ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से समृद्ध बना दिया है। सरकारी नौकरी में 35 फीसद आरक्षण दिया गया है। मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत बेटियों को संरक्षण, स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वालंबन बनाने की योजना लेकर आए हैं। बेटिया साइकिल से स्कूल जाने लगी हैं। उच्च शिक्षा के लिए स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड दिए जा रहे हैं। झोपड़ी में रहने वाली लड़किया जूडो-कराटे के क्षेत्र में बिहार का नाम रोशन कर रही हैं। मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना लागू की गई, जिसका मकसद आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक सशक्तिकरण के रूप में महिलाओं को पहचान दिलाना था। इस योजना के जरिए महिलाओं के व्यक्त्वि विकास के साथ ही उनकी प्रतिभा के बहुआयामी विकास पर जोर दिया गया, ताकि वे स्वावलंबी बन सकें। इसके अलावा मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना, कन्या उत्थान योजना तथा कन्या सुरक्षा योजना के जरिए क्रमश: बाल विवाह को रोकने तथा कन्या के जन्म को प्रोत्साहित करने की कोशिश की गई।