BJP और JDU के बयान पर RJD का पलटवार : आखिर सत्य से इतना गुरेज क्यूं, संजय जायसवाल खुद परिवारवाद की पैदाइश

पटना। महागठबंधन द्वारा रविवार को राजधानी के बापू सभागार में जारी आरोप पत्र पर भाजपा और जदयू द्वारा दिए गए बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा है कि भाजपा और जदयू नेताओं को सच्ची बातों से इतना गुरेज क्यूं है? साथ ही उन्होंने कहा कि इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है कि परिवारवाद की पैदाइश वाले भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल भी परिवारवाद पर तकरीर दे रहे हैं।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि महागठबंधन द्वारा जारी आरोप पत्र में जो भी आंकड़ा दिया गया है, वो सारे आंकड़े स्वतंत्र मानक संस्थाओं के मूल्यांकन पर आधारित हैं। ये आंकड़े राजद अथवा महागठबंधन के नही हैं। महागठबंधन द्वारा तो केवल नीति आयोग, एनएचआरएम, एनएचएम, सीएमआईई, एनसीआरबी, कैग एवं अन्य मानक संस्थाओं के रिपोर्ट और सूचकांक के आधार पर ही आरोप पत्र तैयार किया गया है। हालांकि स्थिती तो इससे भी बदतर है। भाजपा और जदयू नेताओं द्वारा इन स्वतंत्र मानक संस्थाओं के रिपोर्ट को भी झूठलाना उनके चरित्र के अनुरूप ही है। केवल झूठ और प्रोपगेंडा के आधार पर हीं ये लोग आम जनता को अब तक बरगलाते रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल राजद पर परिवारवाद का आरोप लगा रहे हैं जबकि वे खुद परिवारवाद की पैदाइश हैं, साथ हीं उनकी राजनीतिक यात्रा भी राजद से हीं शुरू हुई है।
मंत्री अशोक चौधरी बिहार सरकार के बजट का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि 2004-05 के अनुपात में 2021-22 में बिहार का बजट का आकार लगभग आठ गुणा बढ गया तो फिर यह क्यूं भूल जाते हैं कि इसी कालावधि में केन्द्र सरकार के बजट में भी इसी अनुपात में वृद्धि हुई है। श्री चौधरी को इस तथ्य को भी बताना चाहिए कि प्रति वर्ष बजट में आवंटित राशि का 30 से 40 प्रतिशत राशि खर्च हीं नहीं हो पाता है। उन्हें यह भी बताना चाहिए कि 2004-05 मे केन्द्र की यूपीए सरकार द्वारा बिहार को मिलने वाले अनुदान में 75 प्रतिशत वृद्धि कर दी गई थी। वह पैसा कहां खर्च हुआ।
भाजपा नेता सुशील मोदी द्वारा घोटाले की चर्चा की गई है तो पहले उन्हें उन 36 घोटाले पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए, जिसका आरोप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2014 के लोकसभा चुनाव और 2015 के बिहार विधान ाभा चुनाव के समय नीतीश जी पर लगाया गया था। कानून व्यवस्था पर कुछ बोलने के पहले अपने सरकार के गृह विभाग और एनसीआरबी के आंकड़े का तुलनात्मक अध्ययन कर लें। बेलछी और पिपरा नरसंहार कब हुआ था ? उसमें शामिल लोग कौन थे? विभिन्न नरसंहारों के अभियुक्तों की रिहाई किसके शासनकाल मे हुआ? साथ हीं 2000 से 2005 के बीच एक भी नरसंहार का नाम वे बता दें। जबकि राबड़ी देवी ने नरसंहार मुक्त बिहार दिया था।

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