भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो रेट में हुआ इजाफा : बैंक के EMI में होगी वृद्धि, बढती महंगाई दर ने बढाई चिंता

देश। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिये बुधवार को प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया। आरबीआई के इस कदम से कर्ज महंगा होगा और कर्ज की मासिक किस्त यानी ईएमआई बढ़ेगी। इससे पहले, चार मई को आरबीआई ने अचानक से रेपो दर में 0.4 प्रतिशत की वृद्धि की थी।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि एमपीसी ने आम सहमति से नीतिगत दर में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि महंगाई दर चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में छह प्रतिशत से ऊपर बने रहने की आशंका है। आरबीआई मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत रही। यह केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर से कहीं अधिक है। आरबीआई को खुदरा महंगाई दो से छह प्रतिशत के दायरे में रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
महंगाई दर 6 प्रतिशत से ऊपर बने रहने की आशंका
वही नीतिगत दरों के बारे में फैसला करने वाली भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक सोमवार को शुरू हुई थी। माना जा रहा था कि केंद्रीय बैंक बढ़ती मुद्रास्फीति पर अंकुश के लिए कुछ सख्त नीतिगत कदम उठा सकता है और ऐसा ही हुआ। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने समिति की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि हम मुद्रास्फीति को अपने लक्ष्य के दायरे में लाने के लिए कदम उठा रहे हैं, महंगाई दर चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में 6 प्रतिशत से ऊपर बने रहने की आशंका है। यूक्रेन में युद्ध से दुनिया भर में मुद्रास्फीति बढ़ी है। इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है, रिजर्व बैंक वृद्धि को समर्थन करता रहेगा। रिजर्व बैंक महंगाई को काबू करने के लिए ब्याज दरों को बढ़ाते रहा है, लेकिन इससे शॉर्ट टर्म में महंगाई बढ़ जा रही है। आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ा दिया है यानी रिजर्व बैंक जिस रेट पर बैंकों को लोन देता है, उसका रेट बढ़ाया है। बैंक को ज़्यादा ब्याज देना होगा तो वो आप से भी लोन पर ज़्यादा ब्याज वसूलेंगे। वही धीरे-धीरे ऑटो लोन, पर्सनल लोन महंगे होंगे।

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