मुझे संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर केवल पद का झुनझुना थमाने का काम किया गया : उपेंद्र कुशवाहा

  • पटना में दूसरी बार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीएम नीतीश कुमार पर भड़के उपेंद्र कुशवाहा

पटना। जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने 5 दिन में आज दूसरी बार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीएम नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला। उपेंद्र कुशवाहा ने इस बार जदयू में हिस्सेदारी से लेकर संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष व एमएलसी पर खुलकर अपनी बात रखी। उपेंद्र कुशवाहा ने एक बार फिर दोहराया कि मुख्यमंत्री जी मैं ऐसे नहीं जाने वाला हूं, चाहे तो मेरे सारे पद ले लीजिए। वहीं उपेंद्र कुशवाहा ने आरोप लगाया कि पार्टी में मुझे पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष बनाने के नाम पर झुनझुना पकड़ा दिया। मेरे हाथ में लोलीपोप थमाया गया। मुझे कोई फैसले लेने का अधिकार नहीं दिया। मैंने जब-जब सुझाव दिए उसे पार्टी ने कभी नहीं माना। पार्टी ने मुझे कभी कोई अधिकार नहीं दिया। एमएलसी बनाकर नीतीश कुमार ने हमें लॉलीपॉप थमा दिया। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिना हिस्सा लिए पार्टी छोड़कर नहीं जाऊंगा, चाहे तो मेरे साथ पद ले लें। मुझे किसी पद का लालच नहीं है। मेरी मुख्यमंत्री से कोई नाराजगी नहीं है। किसी से कोई तल्खी नहीं। हमारा फोकस तो पार्टी है और पार्टी को आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को कुछ लोग बरगला रहे हैं। वो अपनी मर्जी से चीजें करने लगे तो अपने आप सब ठीक हो जाएगा। पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष बनाया, क्या ये इज्जत दी गई। मुझे लगा पार्टी कार्यकर्ताओं के हितों की रक्षा कर पाएंगे। बात में पता चला कि पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष बनाना एक झुनझुना थमाना जैसा था। पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष होने के बाद भी मुझसे कभी कोई सुझाव नहीं मांगा गया। उपेंद्र कुशवाह ने कहा कि पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष मुझें जरूर बनाया गया। हमको भी लगता था कि पार्लियामेंट्री बोर्ड का जो दायित्व होता है पार्टियों में होता है उस दायित्वों के निर्वहन का अवरस मुझे भी मिलेगा और पार्टी के कार्यकर्ताओं के हितों की रक्षा कर पाएंगे लेकिन बाद में पता चला कि मुझे झुनझुना थमाया गया। जब संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष की मुझे जिम्मेवारी सौंपी गई उस वक्त पार्टी के संविधान में कुछ नहीं लिया हुआ था लेकिन बाद में संसोधन किया गया।
मुझे किसी पद का लालच नहीं है, मेरी मुख्यमंत्री से कोई नाराजगी नहीं है : उपेंद्र कुशवाहा
उसमें यह बात लिखी गई कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों को मनोनीत करेंगे। पार्टियामेंट्री बोर्ड का मनोनयन राष्ट्रीय अध्यक्ष तो करते हैं सही बात है लेकिन बोर्ड के सदस्यों के मनोनयन का भी कोई अधिकार संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष को नहीं रहेगा। संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनने के बावजूद सदस्यों के मनोनयन का अधिकार नहीं दिया गया। मुझे सदस्यों के मनोनयन का अधिकार भी नहीं दिया गया, इसका क्या अर्थ है। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सदस्य मनोनीत करने का अधिकार उन्हें नहीं दिया गया लेकिन दो साल में खुद मुख्यमंत्री ने संसदीय बोर्ट के सदस्यों का मनोनयन नहीं किया। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिना हिस्सा लिए पार्टी छोड़कर नहीं जाऊंगा, चाहे तो मेरे साथ पद ले लें। मुझे किसी पद का लालच नहीं है। मेरी मुख्यमंत्री से कोई नाराजगी नहीं है। किसी से कोई तल्खी नहीं। हमारा फोकस तो पार्टी है और पार्टी को आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को कुछ लोग बरगला रहे हैं। वो अपनी मर्जी से चीजें करने लगे तो अपने आप सब ठीक हो जाएगा। पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष बनाया, क्या ये इज्जत दी गई। मुझे लगा पार्टी कार्यकर्ताओं के हितों की रक्षा कर पाएंगे। बात में पता चला कि पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष बनाना एक झुनझुना थमाना जैसा था। पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष होने के बाद भी मुझसे कभी कोई सुझाव नहीं मांगा गया। कुशवाहा ने कहा कि उन्होंने जब-जब पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए अपनी कोई राय दी तो उनकी बात नहीं मानी गई। पार्टी ने हमेशा मुझे हल्के में लिया। मुझे कोई अधिकार नहीं दिए गए। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा वे आज भी नीतीश कुमार का सम्मान करते हैं। पिछड़े अति पिछड़े समाज के लोगों की चिंता है इसीलिए आज भी उन पर भरोसा है। उपेंद्र कुशवाहा ने ने कहा कि जो हिस्सा नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद से 1994 फरवरी में गांधी मैदान में मांगा था आज वही हिस्सा मैं उनसे से मांगता हूं। जदयू के संविधान के मुताबिक संसदीय बोर्ड का पूरा पावर राष्ट्रीय अध्यक्ष को है। मुझे अध्यक्ष बनाया गया लेकिन मेरी कोई राय नहीं ली गई। विधानसभा का चुनाव, MLC का चुनाव, राज्यसभा का चुनाव कई मौके आए जहां संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के तौर मेरी भूमिका हो सकती थी, लेकिन मेरी कोई पूछ नहीं हुई।

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