रक्षाबंधन कल: 19 साल बाद बना खास संयोग, नहीं होगा भद्रा का साया

पटना। कल सावन शुक्ल पूर्णिमा को भाई-बहनों का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन श्रवणा नक्षत्र में मनाया जायेगा। इस बार रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया नहीं रहने से पूरे दिन राखी बांधी जा सकेगी। यह भाई-बहन के अटूट प्यार और एक-दूसरे की रक्षा करने के संकल्प का पर्व है।
मानमानस ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र के प्रणेता कर्मकांड विशेषज्ञ पं० राकेश झा शास्त्री ने बताया कि आज रक्षाबंधन पर गुरुवार दिन और पूर्णिमा तिथि होने से सिद्धियोग बन रहा है। इस दिन श्रवणा नक्षत्र एवं और सौभाग्य योग होने से इसकी महत्ता और बढ़ गयी है I सन 2000 साल के बाद पूरे 19 साल बाद रक्षाबंधन का त्योहार 15 अगस्त को मनाया जायेगा। इस उत्तम संयोग में राखी बांधने से ऐश्वर्य तथा सौभाग्य की वृद्धि होती है।
ज्योतिषी पं० झा ने पंचांगों के हवाले से कहा कि सावन की पूर्णिमा 14 अगस्त दिन बुधवार की दोपहर 2:47 बजे से ही शुरू हो गयी है, जो आज शाम 04:23 बजे तक रहेगा। इससे बहन पूरे दिन भाई को राखी बांध सकेंगी। उदया तिथि की पूर्णिमा आज है, इसीलिए रक्षाबंधन का त्योहार भी आज ही मनाया जायेगा। आज भद्रा का साया सूर्योदय के पूर्व ही खत्म हो गया है। जिससे बहने पुरे दिन राखी बांध सकेगी।

इसीलिए इस बार खास है रक्षाबंधन

पंडित झा के अनुसार इस बार रक्षाबंधन का त्योहार गुरुवार के दिन पड़ रहा है। ज्योतिष के अनुसार गुरुवार का दिन गुरु बृहस्पति को समर्पित होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार गुरु बृहस्पति ने देवराज इंद्र को दानवों पर विजय प्राप्ति के लिए इंद्र की पत्नी से रक्षासूत्र बांधने के लिए कहा था जिसके बाद देवराज इन्द्र ने विजय प्राप्ति की थी। राखी के दिन गुरुवार दिन होने से इसकी महत्ता काफी बढ़ गई है।

ग्रहण और भद्रा से मुक्त रहेगा रक्षाबंधन

ज्योतिषाचार्य पंडित रुपेश पाठक के मुताबिक रक्षाबंधन का त्योहार हमेशा भद्रा और ग्रहण से मुक्त ही मनाया जाता है। शास्त्रों में भद्रा रहित काल में ही राखी बांधने का प्रचलन है। भद्रा रहित काल में राखी बांधने से सौभाग्य में बढ़ोत्तरी होती है। इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा की नजर नहीं लगेगी। इसके अलावा इस बार श्रावण पूर्णिमा भी ग्रहण से मुक्त रहेगी जिससे यह पर्व का संयोग शुभ और सौभाग्यशाली रहेगा।

क्या है भद्रा काल

पंचांग के अनुसार जब भद्रा का समय होता है तो उस दौरान राखी नहीं बांधी जाती है । भद्राकाल के समय राखी बांधना अशुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन है। जिस तरह से शनि का स्वभाव क्रूर और क्रोधी है उसी प्रकार से भद्रा का भी है। भद्रा के उग्र स्वभाव के कारण ब्रह्माजी ने इन्हें पंचाग के एक प्रमुख अंग करण में स्थान दिया। पंचाग में इनका नाम विष्टी करण रखा गया है। दिन विशेष पर भद्रा करण लगने से शुभ कार्यों को करना निषेध माना गया है। एक अन्य मान्यता के अनुसार रावण की बहन ने भद्राकाल में ही अपने भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधा था जिसके कारण ही रावण का सर्वनाश हुआ था।

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

सिद्ध योग :- प्रात: 7:35 बजे से दोपहर 12:40 बजे तक,
विशिष्ट शुभ मुहूर्त:- सुबह 09:18 से 10:55 बजे से बजे तक
अभिजित मुहूर्त: – दोपहर 12:06 बजे से 12:57 बजे तक

राशि के अनुसार बांधे राखी:-

मेष — लाल, केसरिया या पीला रंग की राखी
वृष — नीले रंग या चांदी की राखी
मिथुन — हरे रंग की राखी
कर्क — सफेद धागे या मोती से निर्मित राखी
सिंह — गुलाबी, लाल या केसरिया रंग की राखी
कन्या — सफेद या हरे रंग की राखी
तुला — फिरोजी या जमुनी रंग की राखी
वृश्चिक — लाल रंग की राखी
धनु — पीले रंग की राखी
मकर — गहरे लाल रंग की राखी
कुंभ — रुद्राक्ष से निर्मित राखी
मीन — पीला या सफेद रंग की राखी

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