पटना में विभिन्न मांगों को लेकर फिजिकल टीचरों ने किया प्रदर्शन, कहा- रूम रेंट में खर्च हो जाती है सैलरी, राज्यकर्मी का दर्जा दे सरकार

पटना। राजधानी पटना में सरकार के नीतियों के खिलाफ आज गर्दनीबाग धरना स्थल पर प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आए लगभग 2,500 शारीरिक शिक्षकों ने प्रदर्शन किया। बता दे की ये प्रदर्शन शारीरिक शिक्षा व स्वास्थ्य अनुदेशक के सेवा शर्त और वेतनमान में सुधार के लिए है। वही इनका वेतन 8000 रुपए तय किया गया है। वही उनका कहना है की हम घर से 100-200 किलोमीटर की दूरी पर भी सेवा दे रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने आगे कहा की सरकार जो वेतन देती है वो किराए में ही खर्च हो जाता है। उन्होंने सरकार से मांग कि है की वेतन बढ़ाया जाए औव राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए। वही बिहार शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजेश कुमार पांडेय ने कहा कि बिहार सरकार के द्वारा शिक्षक नियोजन नियमावली 2012 के अंतर्गत STET 2019 का आयोजन किया गया था। जिसमें शारीरिक शिक्षा व स्वास्थ्य अनुदेशक की बहाली के लिए परीक्षा ली गई।

शिक्षक नियोजन नियमावली 2012 के वेतन वाले पेज पर जहां शिक्षकों के वेतन से संबंधित जो डिटेल्स दिया गया है, उसमें प्राथमिक को 5000 रुपए, माध्यमिक को 6000 रुपए तय दिया गया है। इसके साथ ही शारीरिक शिक्षा अनुदेशक का वेतन 4000 रुपए तय किया गया था लेकिन शिक्षकों के साथ उनकी बहाली प्रक्रिया आगे नहीं हो सकी। उन्होंने आगे कहा कि शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशक की बहाली तो 2022 में की गई लेकिन सरकार ने बिना वेतन में सुधार किए इसे 8000 रुपए तय कर दिया। जबकि शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशक के भी वेतन में भी समानुपाती वेतन सुधार होना चाहिए था। लेकिन, इस मुद्दे पर अब तक सरकार के किन्हीं पदाधिकारी एवं मंत्रियों का ध्यान नहीं आया है। वही शारीरिक शिक्षक राणा प्रताप सिंह ने कहा कि हमारी मासिक वेतन 8000 रुपए तय है। हम मैट्रिक, इंटर, ग्रेजुएशन करने के बाद बी.पी. ईडी व एमपी. ईडी करके आते हैं। हम जैसे शिक्षकों को 8000 रुपए बस भरन-पोषण के लिए दिया जा रहा है, जो 70-80 किलोमीटर दूर अपनी पोस्टिंग के लिए जाते हैं। हमारा सारा वेतन तो आने-जाने के किराए में भी चला जाता है। हम अपना श्रम दान कर रहे हैं। मुख्यमंत्री से मेरा आग्रह है कि इसपर ध्यान दें और हमें राज्यकर्मी का दर्जा दें।

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