हौसले को सलाम: पटना के 5 दिव्यांगों ने बना डाली दवा बैंक

फुलवारी शरीफ (अजीत कुमार)। कुछ अलग करने की चाह ने राजधानी पटना के 5 दिव्यांगों ने बना डाली दवाई बैंक! इनका काम सोशल साइट फेसबुक और व्हाट्सएप पर चल रहा है। जुड़े हुए लोग सोशल साइट से जुड़कर इन्हें दवाई लेने के लिए बुलाते हैं और यह सभी ट्राई साइकिल से दवाई लाकर मरीजों के बीच जाकर पहुंचाते हैं। दवाई बैंक के मुख्य संयोजक सामाजिक कार्यकर्ता भरत कौशिक, राकेश कुमार पटेल, रितु चौबे हैं। वहीं सहयोग के रूप में दिव्यांग छात्र गुड्डू कुमार तथा मनोज कुमार भी शामिल है। रितु चौबे अनिसाबाद में रहती हैं जबकि भरत कौशिक राजेंद्र नगर में रहते हैं। वहीं राकेश कुमार मलाही पकड़ी चौक और दोनों दिव्यांग राजेन्द्र नगर में रहते हैं। इन सभी का मानना है कि आज दवाई बैंक शहर से शुरू होकर गांव तक पहुंचेगी और पूरा बिहार दवाई के बिना मरने पर मजबूर नहीं होगा। आने वाले समय में बिहार के विकास के निर्माण में दिव्यांग भी अपनी भूमिका निभाने में पीछे नही रहेगें। इसलिए उन्होंने इरादा को बुलंद किया है। दवाई बैंक के माध्यम से दवा पहुंचाकर एक स्वस्थ बिहार, स्वस्थ समाज का निर्माण करने का इनकी प्रयासों की सराहना जितनी भी की जाए वह बहुत ही कम है।
बताते चलें कि दवाई बैंक झुग्गी झोपड़ी, दिव्यांग एवं असहाय, गरीब कमजोर तबके के लिए बनाया गया है। दवाई बैंक के निर्माणकर्ता ने बताया कि जब ये लोग गरीबों के बीच शहर के स्लम में रहने वाले लोगों के बीच जाते थे तो उन्हें दवा के बिना तरपते एवं मरते देखकर इन सभी की आंखें आंसुओं से भर जाती थी। इन सभी का मन रोता रहता था, यह हमेशा सोचते रहते थे कि कुछ ऐसा काम करना है जिससे गरीबों की मृत्यु ना हो और कोई दिव्यांग भी ना हो इसलिए इनके मन में कुछ अलग करने की सोच हमेशा रहती थी। दिव्यांगजनों ने सोचा कि हम दिव्यांग है लेकिन किसी भी गरीब की मृत्यु होने नहीं देंगे इसलिए ठाना कि मेडिसिन बैंक बनाकर हॉस्पिटलों में, घरों में, गरीब-असहाय, दिव्यांग एवं कमजोर लोगों के बीच डॉक्टर से दिखाकर शुरूआती दौर की कुछ दवा दिया जाय। दिव्यांगों के हौसले को देखकर लोग सलाम कर रहे हैं। इन्हें दवा देने के लिए कई लोग आ रहे हैं कई दवा कंपनियां दवाई पहुंचा रही है। इन गरीबों के बीच मरीजों के बीच पहुंचाने में दिव्यांगों की अहम भूमिका रहती है। रात हो या दिन कभी भी इनके पास कॉल जाता है। यह दवा लेने में और मरीजों के बीच दवा पहुंचाने में देरी नहीं करते हैं। यही कारण है कि इन सभी के प्रयास से कई की जान बच रही है।

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