31 अक्टूबर को पूरे दिन रहेगा पुष्य नक्षत्र; अहोई पूजा, खरीदारी व भूमि पूजन के लिए शुभ

पुष्य का अर्थ होता है पोषण, ऊर्जा और शक्ति प्रदान करने वाला, यह शुभ एवं कल्याणकारी होता है। कार्तिक कृष्ण अष्टमी 31 अक्टूबर दिन बुधवार को अहोई अष्टमी पुष्य नक्षत्र तथा साध्य योग में मनाई जाएगी। करवा चौथ के ठीक चौथे दिन अहोई अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। महिलाएं अपने संतान की लम्बी आयु और उनके जीवन से बाधाओं को दूर करने के लिए यह व्रत रखती हैं। इस दिन संध्या काल में कलश-गणेश एवं अहोई माता की विधिवत पूजा करके चन्द्रमा को करवे से अर्घ्य देकर व्रत का समापन करती है। माताएं अहोई माता के रूप में देवी पार्वती की पूजा करती है। माता की पूजा करने के बाद दूध-चावल का भोग लगाया जाता है।

कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि कार्तिक कृष्ण अष्टमी को पुष्य नक्षत्र होने से इसकी महत्ता और बढ़ गयी है। इस नक्षत्र का प्रतिनिधत्व न्याय के देवता शनिदेव करते है। 31 अक्टूबर दिन बुधवार को सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक खरीदारी का उत्तम योग है। इस दिन बुधवार और साध्य योग होने के साथ इस दिन चंदमा की पूजा (चन्द्रमा और बुध- पिता पुत्र) होने से अत्यंत कल्याणकारी और शुभ हो गया है। पुष्य नक्षत्र में वैवाहिक कार्य को छोड़कर बाकि सभी शुभ काम किये जाते है। इस दिन पुष्य नक्षत्र होने से खरीदारी, बेचने तथा भूमि पूजन करना शुभ माना जाता है।

ज्योतिष विद्वान पं० राकेश झा शास्त्री के अनुसार पुष्य नक्षत्र को शुभ और कल्याणकारी माना गया है, जो शुभ, सुंदर, सुख तथा सम्पदा देने वाला है। यह 27 नक्षत्रो में 8 वां नक्षत्र है एवं 12 राशियों में एकमात्र कर्क राशि का स्वामी चन्द्रमा है। पुष्य नक्षत्र के सभी चरणों के दौरान चन्द्रमा किसी राशि का स्वामी नहीं है, इसीलिए पुष्य नक्षत्र को सुख-शांति, धन-सम्पत्ति, समृद्धिदायक तथा शुभ फल प्रदान करने वाला होता है। ऋग्वेद में इस नक्षत्र को मंगलकर्ता कहा गया है। साथ ही यह सभी नक्षत्रों का राजा भी है। पंडित झा के कहा कि इस बार अमृत सिद्धि तथा वैदूर्य योग होने से यह अति फलदायी हो गया है। अमृत सिद्धि योग प्रातः 9 बजे से दोपहर 01 बजे तक रहेगा। वहीं वैदूर्य योग दोपहर 02:14 बजे से आरम्भ होकर शाम 04:49 बजे तक चलेगा।

पुष्य नक्षत्र ऐसे होता है महान

पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति देव माने गए है तथा शनि को इस नक्षत्र का दिशा प्रतिनिधि माना जाता है। चूंकि बृहस्पति शुभता, बुद्धिमता,स्थायित्व एवं ज्ञान के प्रतीक है। इन दोनों का योग मिलकर इस नक्षत्र को शुभ तथा महान बना देता है। उन्होंने कहा कि साध्य योग में भगवान की साधना और भक्ति करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है। शिक्षा अध्ययन के लिए इस योग में नामांकन या आरंभ करने से माता शारदे की विशेष अनुकम्पा मिलती है।

खरीदारी के लिए उपयुक्त है पुष्य नक्षत्र

पंडित झा ने कहा कि पुष्य नक्षत्र को स्थायी नक्षत्र माना जाता है और इसमें खरीदी गई वस्तु अधिक समय तक उपयोगी तथा अक्षय होती है। इस नक्षत्र में स्वर्ण (सोना) करते है, क्योकि इसे शुद्ध, पवित्र तथा अक्षय धातु माना गया है। पुष्य नक्षत्र को स्वास्थ्य के लिए भी शुभ माना गया है। इस नक्षत्र पर शुभ ग्रहों का प्रभाव होने से यह सेहत संबंधी कई समस्याओं को समाप्त करने में ज़ख्म होता है।

राशि के अनुसार करे खरीदारी मिलेगा अक्षय लाभ

वृष व तुला :- चांदी, सफेद वस्तु या अल्मुनियम का बर्तन

मिथुन व कन्या :- स्वर्ण या रसोई की बर्तन या फ्रीज

कर्क :- चांदी या गिलट से निर्मित वस्तु

सिंह राशि :- तांबा, सोना या बेड

धनु व मीन राशि :- स्वर्ण या विद्युत सामग्री

मकर व कुंभ राशि :- लोहा का सामान या वाहन

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