उपमुख्यमंत्री बोले- पशु एवं मत्स्य संसाधन का क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था की धूरी

  • पशु आरोग्य-सह-कृषि उन्नति मेला एवं उद्यान महोत्सव का आयोजन

पटना। राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के तत्वावधान में कृषि विज्ञान केंद्र पिपराकोठी, मोतिहारी के प्रांगण में आयोजित पशु आरोग्य-सह-कृषि उन्नति मेला एवं उद्यान महोत्सव को संबोधित करते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि केंद्र और बिहार सरकार ने महत्वकांक्षी कार्यक्रमों के माध्यम से उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ाने के लिए इंतजाम सुनिश्चित किए हैं। उक्त अवसर पर सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह, मंत्री प्रमोद कुमार, पूर्व मंत्री और विधायक राणा रणधीर, विधायक लालबाबू प्रसाद गुप्ता, कृष्ण नंदन पासवान, श्याम बाबू यादव, सुनील मणि तिवारी, विधान पार्षद महेश्वर सिंह, पद्मश्री किसान चाची, पूर्व विधायक सचिंद्र प्रसाद सिंह, प्रकाश अस्थाना, आरसी श्रीवास्तव सहित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के वरीय अधिकारी, कृषक पशुपालक, मत्स्य पालक एवं काफी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित रहे।


उपमुख्यमंत्री ने कहा कि पशु एवं मत्स्य संसाधन का क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था की धूरी है। ग्रामीण रोजगार के सृजन में इन क्षेत्रों की काफी महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि जागृति और जन-भागीदारी से कृषि और अनुषंगी योजनाओं में सफलता मिलेगी और किसानों की आमदनी भी बढेगी। उन्होंने पदाधिकारियों से संवेदनशीलता और मुस्तैदी से काम करने को कहा।
उन्होंने कहा कि किसानों की आमदनी को दोगुनी करने हेतु अभी तक दो बिंदुओं पर जोर दिया गया, जिसमें कृषि लागत को कम करना और उत्पादकता को बढ़ाना शामिल रहा है। अब इसमें कृषि अवशेष एवं अन्य कचड़े के उपयोग से किसानों की आमदनी बढ़ाने हेतु तीसरे आयाम को जोड़ा गया है। डॉ. राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने कृषि अवशेष एवं अन्य कचड़े के उपयोगी इस्तेमाल हेतु बेहतरीन शोध किए हैं, जो किसानों के लिए काफी लाभकारी हैं। अरहर के डंठल, केले के रेशे इत्यादि अन्य कृषि अवशेषों के इस्तेमाल से किसान अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं। इस पर तेजी से काम करने की आवश्यकता है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों, पशुपालकों, मत्स्य पालकों और दुग्ध उत्पादकों के चेहरे पर मुस्कान रहे, उनके जीवन में खुशहाली और समृद्धि आए, इसके लिए सरकार प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के क्रियान्वयन से मत्स्य पालकों के जीवन में खुशहाली और समृद्धि हेतु प्रतिबद्धता के साथ काम किया जा रहा है। आत्मनिर्भर बिहार सात निश्चय-2 के अंतर्गत कई महत्वकांक्षी कार्यक्रमों को शुरू करके राज्य को दुग्ध, मांस, अंडा एवं मछली उत्पादन में आत्मनिर्भरता हेतु सुनिश्चित प्रयास किए जा रहे हैं।

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