‘अग्निपथ’ की आग में धधका पालीगंज : पुलिस की दो गाड़ियां सहित प्रखंड कार्यालय को फूंका, 22 गिरफ्तार

  • थाने पर पथराव के दौरान कई पुलिसकर्मी घायल, बचाव में पुलिस ने किया दो चक्र गोलीबारी

पालीगंज। केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना के खिलाफ शुक्रवार को पटना के पालीगंज बाजार में उग्र युवाओं ने पुलिस की दो गाड़ियां सहित प्रखंड कार्यालय को आग के हवाले कर दिया। वहीं उपद्रवियों ने थाने पर पथराव कर कई पुलिसकर्मियों को घायल कर दिया। जबकि बचाव में पुलिस की ओर से दो चक्र गोलियां दागी गयी।
जानकारी के अनुसार सेना बहाली नियमों में बदलाव कर सरकार की ओर से अग्निपथ योजना लाई गई है। जिसके तहत युवाओं को छह माह का सैन्य प्रशिक्षण देकर चार वर्षों के लिए बहाली की जाएगी। उक्त नियम को लेकर युवाओं के बीच आक्रोश है। शुक्रवार को पालीगंज में युवाओं का कहर टूट पड़ी। प्रदर्शन में शामिल सैकड़ों युवा उपद्रवियों ने पहले बिहटा चौक पर पुलिस की मौजूदगी में आगजनी कर उग्र प्रदर्शन का शुरूआत किया। उसके बाद पूरे पालीगंज के चौक-चौराहे पर आगजनी कर बाजार व सड़कों पर यातायात बंद करवा दिया। वहीं बंद करवाने के दौरान बाजार में पुलिस की दो गाड़ियों व एक निजी बस को आग के हवाले कर दिया व अन्य दो दर्जन से अधित वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया। जबकि बाजार की दुकानों सहित अन्य जगहों पर तोड़फोड़ करते हुए उग्र युवाओं ने थाना पर पहुंचकर पथराव कर दिया। इस दौरान थाने में खड़ी पुलिस की सभी गाड़ियों को क्षगिग्रस्त कर दिया जबकि कई पुलिसकर्मी घायल हो गया। अंत में पुलिस को उपद्रवियों की भीड़ को तितर बितर करने के लिए व अपनी बचाव को लेकर दो चक्र गोलियां चलानी पड़ी। जब तक की पुलिस उपद्रवियों पर काबू पाती तब तक उपद्रवियों ने प्रखंड कार्यालय पहुंचकर निर्वाचन शाखा के कार्यालय व गोडाउन में आग लगा दिया। जिसकी सूचना मिलते ही पलीगंज एएसपी अवधेश सरोज ने खुद कमान संभाली व एक अलग अंदाज में कई थाने की पुलिस संग सड़क मार्च शुरू कर हालात पर काबू पाया।


एएसपी अवधेश सरोज ने बताया कि इस मामले में अभी तक 22 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सभी उपद्रवियों की पहचान कर ली गयी है। इसमें उपद्रवियों को राजनीतिक समर्थन मिलने की उम्मीद की जा रही है। सभी पहलू पर जांच की जा रही है। समर्थन देनेवालों को भी बख्शा नहीं जाएगा, साथ ही एएसपी ने अविभावकों से अपील किया है कि यदि अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित देखना चाहते हैं तो उन्हें समझा बुझाकर गलत रास्ते पर जाने से रोकें।
इधर, बुद्धिजीवियों का कहना है कि यदि शुरूआत में ही प्रदर्शनकारियों को पुलिस नियंत्रित करती तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती। लेकिन प्रदर्शन की शुरूआत में पुलिस मुकदर्शक बनी रही। नतीजा यह हुआ कि प्रदर्शनकारियों का हौसला बढ़ता गया।

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