सरकार ने अनुकंपा नौकरी के नियमों में किया बदलाव, अब आश्रित परिवार एक दशक बाद भी कर सकते आवेदन

पटना । अनुकंपा नौकरी के नियमों में सरकार ने बड़ा बदलाव करते हुए अब सरकारी नौकरी करनेवाले सेवकों के मृत होने या उनके लापता होने की स्थिति में आश्रितों को नौकरी के लिए आवेदन करने के समय में पांच साल की बाध्यता को समाप्त कर दिया है। पटना हाईकोर्ट के निर्देश के बाद बिहार सरकार ने इस नियम को लागू कर दिया है। अब आश्रित परिवार अनुकंपा नौकरी के लिए एक दशक बाद भी आवेदन कर सकते हैं।

दरअसल, हाईकोर्ट में एक महिला ने याचिका लगाई थी, जिसमें उसने बताया था कि उसके पति सरकारी सेवक थे, 2005 में लापता हो गए। आठ साल बाद जब अनुकंपा नौकरी के लिए आवेदन दिया तो बताया गया कि उन्होंने देरी कर दी है। अब अनुकंपा नौकरी की पात्र नहीं हो सकते हैं। क्योंकि सामान्य प्रशासन विभाग के नियम के अनुसार लापता या मृत होने की स्थिति में पांच साल तक ही अनुकंपा नौकरी करने के लिए प्रावधान है।

सामान्य प्रशासन विभाग के इस नियम पर हाई कोर्ट ने आपत्ति जताई। कोर्ट का कहना था कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 108 में किसी लापता व्यक्ति के कानूनी रूप से मृत घोषित करने की मियाद सात साल है। ऐसे में कोई आश्रित सात साल से पहले अपने स्वजन को मृत घोषित कर नौकरी का दावा कैसे कर सकता है। कोर्ट ने इस नियम में बदलाव करने के निर्देश दिए थे।

पटना हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने इस मामले में होने वाली अनुकंपा आधारित नियुक्ति के नियम को बदल दिया है। अधिसूचना के मुताबिक किसी सरकारी सेवक के लापता होने के सात साल बाद या सक्षम प्राधिकार द्वारा उसे मृत घोषित करने के पांच साल बाद तक आश्रित नौकरी के लिए आवेदन कर सकता है।

सामान्य प्रशासन विभाग के इस बदलाव का फायदा उन परिवारों को भी मिलेगा, जिनके घर में अनुकंपा की नौकरी के लिए कोई पात्र नहीं है। साथ ही आश्रित अगर नाबालिग है तो वह बालिग होने के बाद नौकरी के लिए आवेदन कर सकता है। हालांकि शर्त यह है कि बालिग होने के एक साल की अवधि में उसे नौकरी के लिए आवेदन करना होगा।

 

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