सीएए पर रोक लगाने को सुप्रीम कोर्ट पंहुचा इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग

  • शीर्ष अदालत में याचिका दायर: तुरंत कानून पर रोक लगाने की मांग, लगातार हो रहा है विरोध

नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून लागू होते ही इसके खिलाफ मुस्लिम संगठन सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने सुप्रीम कोर्ट से इस कानून पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। आईयूएमएल ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जेंट ऐप्लिकेशन देकर कहा है कि यह कानून असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण है। यह मुस्लिमों के खिलाफ है। याचिका में कहा गया है कि अधिनियम और नियमों के परिणामस्वरूप मूल्यवान अधिकार सृजित होंगे और केवल कुछ धर्मों से संबंधित व्यक्तियों को नागरिकता प्रदान की जाएगी, जिसके परिणामस्वरूप वर्तमान रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान असफल स्थिति उत्पन्न होगी। बता दें, विवादों में रहे सीएए को लागू किए जाने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता दी जा सकेगी। सीएए के नियम जारी हो जाने के साथ ही मोदी सरकार इन तीन देशों के प्रताड़ित हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय नागरिकता देना शुरू कर देगी। हालांकि, लोकसभा चुनाव 2024 के पहले इसके ऐलान को लेकर विपक्ष ने भी कई सवाल उठाए हैं। हालांकि लंबे समय से इस मामले में सुनवाई नहीं हुई है।
मुस्लिमों को नाम शामिल करके उनके साथ भेदभाव किया गया
केरल के राजनीतिक दल आईयूएमएल ने दावा किया कि इस कानून में मुस्लिमों को नाम शामिल करके उनके साथ भेदभाव किया गया है। यह कानून धर्म के आधार पर बनाया गया है जो कि संविधान के मूल सिद्धांत का उल्लंघन करता है। वहीं शरणार्थियों के मामले में भी भेदभाव किया जा रहा है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट से फाइनल फैसला आए बिना ही केंद्र सरकार ने इसे लागू कर दिया। वहीं इसमें अगर खामियां नहीं थीं तो केंद्र सरकार को चार साल का इंतजार क्यों करना पड़ा।
जबतक वैधता पर फैसला नहीं हो जाता, इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने कहा, अगर कोर्ट फैसला करता है कि सीएए असंवैधानिक है तो जिन लोगों को तब तक नागरिकता दी जाएगी, उनसे नागरिकता छीन भी ली जाएगी। इसलिए जब तक शीर्ष न्यायालय से इस कानून की वैधता पर फैसला नहीं हो जाता, इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए। बता दें कि लगभग एक साल से सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई नहीं की है। इस कानून के मुताबिक दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए वहां के अल्पसंख्यकों को फास्टट्रैक तरीके से नागरिकता देने का प्रावधान है। पहले से ही कहा जा रहा था कि आम चुनाव से पहले ही केंद्र सरकार सीएए को लागू कर देगी। हालांकि अब कई राजनीतिक दलों का कहना है कि चुनाव को देखते हुए ध्रुवीकरण के उद्देश्य से सरकार ने इसे लागू किया है। पिनारायी विजयन और ममता बनर्जी ने कह दिया है कि अपने राज्यों में वे इसे लागू नहीं होने देंगी।
आचार संहिता लागू होने से पहले आया फैसला
यह कदम लोकसभा चुनाव 2024 से पहले आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले आया है। आचार संहिता चुनावों के दौरान लागू होता है और सरकार को कोई बड़ी घोषणा करने से रोकता है।
सीएए नियम लागू होने के बाद किन्हें मिलेगी भारत की नागरिकता
सरकार ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम,2019 लागू करने की घोषणा कर दी है। ऐसे में बगैर किसी डॉक्यूमेंट्स के तीन मुस्लिम बहुल देशों- पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, बौद्ध और जैन धर्म के लोगों को नागरिकता मिलेगी। नागरिकता देने का अधिकार केंद्र सरकार के हाथ में होगा। यह नागरिकता 31 दिसंबर,2014 तक इन देशों से भारत आए गैर-मुस्लिम विस्थापितों को दी जाएगी। सीएए गैर भारतीयों को नागरिकता देने का एक कानून है। इस कानून के अनुसार, 3 देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यक इसके तहत भारत की नागरिकता के पात्र होंगे। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले अल्पसंख्यकों को इस कानून के तहत नागरिकता दी जाएगी।
सीएए कानून का क्यों हो रहा है विरोध
सीएए कानून के तहत भारत के तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक तौर पर प्रताड़ना के शिकार होकर भारत आने वाले गैर मुस्लिमों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। इस कानून के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई वर्ग के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। सीएए में किसी की नागरिकता छीनने का प्रावधान है। मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह कानून उनके साथ भेदभाव करता है, जो देश के संविधान का उल्लंघन है।

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