नायब सैनी होंगे हरियाणा के नए मुख्यमंत्री, भाजपा विधायक दल की बैठक में हुआ फैसला

चंडीगढ़। हरियाणा में जारी सियासी हलचल के बीच नायब सैनी को भाजपा विधायक दल का नेता चुन लिया गया। सैनी हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। शाम 5 बजे राज्यपाल सैनी को शपथ दिलवा सकते हैं। बता दें कि नायब सैनी हरियाणा में भाजपा अध्यक्ष हैं। इसके अलावा वह कुरुक्षेत्र से सांसद हैं। वह हरियाणा में भाजपा के ओबीसी चेहरे हैं। इसके साथ ही मनोहरलाल खट्टर की विदाई तय हो चुकी है। बताया जा रहा है कि एमएल खट्टर इस बार करनाल से लोकसभा चुनाव में उतरेंगे। भाजपा की विधायक दल की बैठक में नायब सैनी का नाम तय किया गया है। एक बार अनिल विज का नाम भी चर्चा में आया था। हालांकि जिस तरह से वह बैठक के बाद निकले हैं, उससे लगता है कि वह नाराज हैं। बताया जाता है कि सैनी खट्टर के करीबी रहे हैं। नायब सिंह सैनी का जन्म 25 जनवरी 1970 को अंबाला के एक छोटे से गांव मिज़ापुर माजरा में एक सैनी परिवार में हुआ था। उन्होंने मुजफ्फरपुर में बी.आर. अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय और चौ. बीए और एलएलबी की डिग्री हासिल की है। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े जिसके माध्यम से उनकी मुलाकात मनोहर लाल खट्टर से हुई और वह उनसे प्रभावित हुए। कुछ समय बाद वह भाजपा में शामिल हो गए और उसके बाद अंबाला छावनी में इसके अध्यक्ष सहित कई स्थानीय पार्टी कार्यालयों में कार्य किया। वो साल 2002 में युवा मोर्चा बीजेपी अंबाला से जिला महामंत्री बने रहे। इसके बाद साल 2005 में युवा मोर्चा भाजपा अंबाला में जिला अध्यक्ष पर बने रहे। नायब सिंह सैनी ने साल 2009 में किसान मोर्चा भाजपा हरियाणा के प्रदेश महामंत्री रहे। साल 2012 में बीजेपी अंबाला से जिला अध्यक्ष रहे। साल 2014 में वो नारायणगढ़ विधानसभा से विधायक बने। इसके बाद साल 2016 में वो हरियाणा सरकार में राज्य मंत्री रहे। वहीं, वो साल 2019 में कुरुक्षेत्र से सांसद चुने गए। इसके बाद आज उन्हें केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर जिम्मेदारी सौंपी है। सीएम खट्टर के खासनायब सैनी को सीएम मनोहर लाल खट्टर का सबसे करीबी माना जाता है। संघ के दिनों से दोनों एक दूसरे को जानते हैं। माना जाता है कि सीएम ने ही उन्हें कुरुक्षेत्र से टिकट दिए जाने की पैरवी की थी। इसमें नायब सैनी खरे भी उतरे थे। उन्होंने चुनाव जीत कर सीएम के भरोसे को कायम रखा। लोकसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा और जेजेपी में दरार आ गई थी। इसके बाद भाजपा ने निर्दलीय विधायकों के दम पर सरकार का पुनर्गठन कर डाला और जेजेपी को किनारे कर दिया। एक तरफ चंडीगढ़ में भाजपा की मीटिंग चल रही है तो वहीं दूसरी तरफ दिल्ली में चौटाला ने अपने 10 विधायकों की बैठक बुलाई। इस मीटिंग में उनकी पार्टी के 5 ही विधायक पहुंचे। इससे कयास लग रहे हैं कि उनकी पार्टी का एक बड़ा धड़ा भाजपा में जा सकता है। आज सुबह से ये अटकलें थीं कि 7 विधायक पाला बदल की फिराक में हैं। अब मीटिंग में 5 के न जाने से ऐसे कयास और मजबूत हुए हैं।

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